Total Views :126

You are currently viewing मेहरबानी हो गई….

मेहरबानी हो गई….

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
***********************************

ये रात आज कितनी सुहानी हो गयी, 
जो मुस्कुराईं तुम मेहरबानी हो गयी। 

मुखड़े के नूर से बिखर गयी है रोशनी, 
बोली ये चाँदनी बड़ी बेईमानी हो गयी। 

फीके हजारों दीप भी हैं सामने आपके, 
ये रोशनी भी आपकी दीवानी हो गयी। 

थे रूप के अफसाने तेरे वैसे ही मशहूर, 
काजल जो लगाया तो कहानी हो गयी। 

कहता था न निकलो सज-सँवर के तुम, 
देखा जो खुदा ने खुद हैरानी हो गयी। 

नीची निग़ाहें ढाती हैं कैसे-कैसे सितम, 
पलकें जो उठ गईं तो परेशानी हो गयी। 

पीने से भी आएगा किसी को नहीं नशा, 
देखा जो शराब ने तुझे तो पानी हो गयी। 

कहते थे लोग दिल का ये खेल है बुरा, 
तुमसे लगा के दिल बड़ी नादानी हो गयी॥

परिचय– डॉ. अनिल कुमार बाजपेयी ने एम.एस-सी. सहित डी.एस-सी. एवं पी-एच.डी. की उपाधि हासिल की है। आपकी जन्म तारीख २५ अक्टूबर १९५८ है। अनेक वैज्ञानिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित डॉ. बाजपेयी का स्थाई बसेरा जबलपुर (मप्र) में बसेरा है। आपको हिंदी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। इनका कार्यक्षेत्र-शासकीय विज्ञान महाविद्यालय (जबलपुर) में नौकरी (प्राध्यापक) है। इनकी लेखन विधा-काव्य और आलेख है।

Leave a Reply