कुल पृष्ठ दर्शन : 198

You are currently viewing मोल नहीं खुशबू का होता

मोल नहीं खुशबू का होता

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
**************************************

खिल-खिल कर जीने वाला ही,
पुष्प समान हल्का होता
भार नहीं होता फूलों का,
मोल नहीं खुशबू का होता।

तौल-तौल कर साँसें लेते,
धक नाप धड़कता है जो दिल
फूँक-फूँक कर कदम बढ़ाते,
क्या बन पाएंगे वो काबिल
खुल कर हँसता रहता जो,
सागर खुशी लगाते गोता।
मोल नहीं खुशबू का होता…

माहौल महकने लगता है,
जब रिश्तों का बाग लगाते
चुन-चुन कर सुभाव की कलियाँ,
प्रेम पराग सदा फैलाते
पलक-पावड़े सदा बिछाते,
जो कहीं नहींं काँटे बोता।
मोल नहीं खुशबू का होता…॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

Leave a Reply