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रचनाकार को उसकी समझ के अनुसार पढ़ना होगा- डॉ. जनमेजय

पुस्तक विमोचन….

इन्दौर(मप्र)।

रचनाकार ने जो लिखा है, उसे उसकी समझ के अनुसार पढ़ना चाहिए, उस पर अपनी समझ नहीं लादनी चाहिए। अदिति की रचनाओं में वात्सल्य भाव अधिक है।
मुख्य वक्ता और सम्पादक डॉ. प्रेम जनमेजय ने पुस्तक विमोचन एवं चर्चा आयोजन में इन्दौर प्रेस क्लब में रविवार को डॉ. लालित्य ललित के व्यंग्य संग्रह ’पाण्डेय जी छज्जे पर’ एवं अदिति सिंह के काव्य संग्रह ‘खामोशियों की गूँज’ के विमोचन अवसर पर यह बात कही। विशिष्ट अतिथि लोकसभा सचिवालय के सम्पादक रणविजय राव व नेशनल बुक ट्रस्ट के सम्पादक डॉ. लालित्य ललित रहे।
अतिथियों का स्वागत अमित सिंह भदौरिया और रमेश शर्मा ने किया। पुस्तक परिचय अदिति सिंह ने दिया। प्रथम चर्चाकार के रूप में सुषमा व्यास ने ‘खामोशियों की गूँज’ पर कहा कि अदिति की कविताओं में भावनाएँ प्रधान हैं। वरिष्ठ कहानीकार डॉ. गरिमा दुबे ने बताया कि काव्य संग्रह की सभी कविताएँ कमाल हैं। कला पक्ष सार्थक है,पीड़ा मुखर हुई है। दिल्ली से आए प्रो. राजेश कुमार ने कहा कि,ललित जी का व्यंग्य संसार व्यापक है।विशिष्ट अतिथि रणविजय राव ने कहा कि आम आदमी की कसक, उनके दु:ख-दर्द को पांडेय जी नामक किरदार के माध्यम से ललित जी ने व्यक्त किया है।
विमोचन में शहर के रचनाकार सतीश राठी,अश्विनी दुबे,मुकेश तिवारी,ज्योति जैन,हर्षवर्धन प्रकाश सहित साहित्यिकजन भी सम्मिलित हुए। संचालन मनीषा व्यास ने किया।

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