हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक डॉ. मोहनराव भागवत ने ‘कुटुंब प्रबोधन’ में समाज को जागरूक करने हेतु कहा कि रिश्तों में सुधार के लिए घर पर मोबाइल हेतु ‘पार्किंग बाक्स’ होना चाहिए। बिल्कुल सही कहा है कि मोबाइल की प्रयोगता समय अनुसार जरूरी है, पर घर- परिवार में इसे निषेध रखा जाए तो अच्छा होगा।
वास्तव में परिवार के बीच मोबाइल एक प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहा है, कि जब हम अपने घर- परिवार के बीच में रहें तो आपस में मिलकर क़रीब रहकर संवाद- बातचीत का रास्ता खोलें तो अच्छा होगा, पर आजकल सब अपने-अपने मोबाइल में सिमट के रह जाते हैं। परिवारजन आपस में भोजन करते समय भी मोबाइल में ही लगे रहते हैं। ऐसे में मोबाइल के लिए हर घर में बॉक्स होना चाहिए। संवाद व आंनद के लिए यह सही विकल्प है। खुशियों को दुनियाभर में तलाशते हुए हम जब अपने परिवार के बीच खुश नहीं हैं, तो इस मोबाइल में क्या सकारात्मक ऊर्जा मिल सकेगी ?
इस समय हम इंसानों को विचार विमर्श समय अनुसार अपने घर- परिवार के बीच करना अच्छा संकेत है और मोबाइल के लिए भी एक बाक्स होना ही चाहिए, तभी खुशियाँ बनी रहेंगी। परिवार को सशक्त व जीवन खुशहाल बनाने के लिए कुछ त्याग भी जरूरी है। मोबाइल के दूषित-नकारात्मक परिवहन के प्रति अब जागिए, नहीं तो रिश्तों के साथ आपका स्नेह, वात्सल्य व सौहार्द सब-कुछ धरातल में चला जाएगा। यह समाधान रिश्तों में सुधार के लिए बहुत जरूरी है। मोबाइल जीवन में हर इंसान के लिए अतिआवश्यक वस्तु जरूर है, पर घर-परिवार से इसे दूर रखना सभी की जिम्मेदारी होनी चाहिए। जो वैचारिक चिंतन माँ-बाप, भाई-बहन, भाई-भाभी व बच्चों का खेलते-मस्ती करते होता है, वह इस मोबाइल के कारण स्वयं ही समाप्त होने की कगार पर बढ़ रहा है। इस पर घर-परिवार, समाज और सभी को अपना पक्ष सकारात्मक सोच से ओत-प्रोत होकर रखना चाहिए।