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रुबी भूषण की ग़ज़लों में जमाना बोलता है

पटना (बिहार)।

बहुआयामी प्रतिभा की धनी रुबी भूषण जिस विधा में सृजन करती है, उसमें गहरे पैठ कर मानवीय संवेदना को झकझोरने की पुरजोर कोशिश करती है। उनकी ग़ज़लों में जमाना बोलता है और अपनी अंदाज- ए-बयां से वे पाठकों के दिलो-दिमाग में उतरती चली जाती है।

यह बात विमोचन समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कही। यह अवसर था साहित्य कला संसद द्वारा चर्चित कवयित्री रूबी भूषण के ग़ज़ल संग्रह ‘मुंडेर पर रोशनी के विमोचन समारोह का। लोकार्पण वरिष्ठ साहित्यकार जियालाल आर्य ने किया। उन्होंने कहा कि रूबी भूषण की ग़ज़लों का यह पहला गुलदस्ता सजावट से लेकर बुनावट तक में खुशबू बिखेरने में कामयाब है। अतिथियों का स्वागत संसद के अध्यक्ष पंकज प्रियम ने किया। अध्यक्षीय संबोधन में ग़ज़लकार अनिरुद्ध सिन्हा ने कहा कि रुबी भूषण की गजलों की अदायगी आज के विद्रूप हालात की तहें खोलती हैं, जिसमें हम अपना चेहरा साफ-साफ देख सकते हैं। वरिष्ठ गजलकार प्रेमकिरण सहित खुर्शीद अकबर, संजय कुमार, सिद्धेश्वर आदि ने भी अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए। इस महफ़िल में आराधना प्रसाद, अनुपमा श्रीवास्तव, डॉ. नीलू अग्रवाल, सविता राज, चन्द्र भारद्वाज आदि ने भी एक से बढ़कर एक ग़ज़ल पाठ से गुलजार किया। संचालन नसीम अख्तर ने किया। धन्यवाद ज्ञापन पंकज प्रियम ने दिया।