भोपाल (मध्यप्रदेश)
मँहगाई ने चारों ओर से फ़ैलाए अपने पर,
जिससे आम जीवन टूटकर रहा है बिखर।
मँहगाई से आज का जन-जीवन है बहुत ही प्रभावित,
लेकिन देश की जनसंख्या-अनुसार इतनी खपत ही है संभावित।
बेशक मँहगाई ने लगाई है बड़ी छलांग,
जिससे साथ ही जनता की पूरी हुई कई मांग।
मँहगाई ने रखे हैं क़दम सात समुन्दर पार,
साथ ही देश में हो रहे विकास की सारी धरा पर लहर।
ये मँहगाई भी है, आने-जाने वाली कुछ दिनों की मेहमान,
बात है दो दिन की ही इसका भी पूरे आदर से करो सम्मान।
मँहगाई कितनी भी हो जाए बदलता है इसका रूप,
इसलिए राष्ट्रवादियों, ये नहीं है इसका वास्तविक स्वरूप॥
परिचय-तृप्ति तोमर पेशेवर लेखिका नहीं है,पर प्रतियोगी छात्रा के रुप में जीवन के रिश्तों कॊ अच्छा समझती हैं। यही भावना इनकी रचनाओं में समझी जा सकती है। साहित्यिक उपनाम-तृष्णा है। जन्मतिथि १६ नवम्बर एवं जन्म स्थान-विदिशा (मप्र) है। वर्तमान में भोपाल के जनता नगर-करोंद में निवास है। प्रदेश के भोपाल से ताल्लुक रखने वाली तृप्ति की लेखन उम्र तो छोटी ही है,पर लिखने के शौक ने बस इन्हें जमा दिया है। पीजीडीसीए व एम. ए. शिक्षित होकर फिलहाल डी.एलएड. जारी है। यह अधिकतर कविता लिखती हैं। एक साझा काव्य संग्रह में रचना प्रकाशन और सम्मान हुआ है। कुछ स्पर्धा में प्रथम भी आ चुकी हैं।