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वीरों का अभिमान तिरंगा

राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
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गणतंत्र दिवस:देश और युवा सोच…

संविधान की शान तिरंगा
भारत का सम्मान तिरंगा,
लहर-लहर लहराता जाए
वीरों का अभिमान तिरंगा।

इस झंडे के नीचे आकर,
कितने ही कुर्बान हुए।
हँसकर फांसी पर झूले,
देश पे वो बलिदान हुए।
मिट्टी का कण-कण बोले,
आजादी का अरमान तिरंगा।
वीरों का अभिमान तिरंगा…

मना रहे हम हर्ष से सारे,
ये गणतंत्र का प्यारा पर्व।
लागू हुआ संविधान इसी दिन,
जन-गण-मन को हुआ था गर्व।
जात-पात का भेद मिटाता,
समरसता का मान तिरंगा।
वीरों का अभिमान तिरंगा…

भाषा-बोली अलग-अलग हैं,
प्रेम दिलों में मगर एक है।
एक माला में गुंथे हुए हैं,
फूल अनेक हैं, डोर एक है।
आन-बान है मेरे हिंद का,
जन-जन की पहचान तिरंगा।
वीरों का अभिमान तिरंगा…

बिस्मिल का स्वाभिमान तिरंगा,
भगत सिंह की आन तिरंगा।
है सुभाष का ख्वाब तिरंगा,
गांधी का वक्तव्य तिरंगा।
जब आए गणतंत्र दिवस तब,
करें तेरा गुणगान तिरंगा।
लहर-लहर लहराता जाए,
वीरों का अभिमान तिरंगा॥

परिचय– राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।

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