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शिक्षक राष्ट्र निर्माता

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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शिक्षक दिवस विशेष…………..
शिक्षक होता भाग्य विधाता,
वही राष्ट्र निर्माता है।
अन्धतमस में ज्योतिकिरण भी,
वही हमें दिखलाता हैll

जीवन को देता नई दिशा,
राह हमें दिखलाता है।
मन से वह अज्ञान मिटाकर,
ज्ञान रश्मि फैलाता हैll

गुरू बिना कोई ज्ञान नहीं,
जीवन सफल न हो पाता।
चाणक्य न होते दुनिया में,
चंद्र न राजा बन पाताll

जीवन की विषम परिस्थिति को,
गुरु ही आसान बनाते।
गुरु सांदीपनि ना होते यदि,
तो कृष्ण नहीं बन पातेll

महान गुरुओं के दम पर ही,
हम जगद्गुरू बन पाये।
सच्चा गुरु तो वह होता है,
जो भय को दूर भगाएll

एक योग्य शिष्य बनाने को,
गुरु दीपक सम जलता है।
प्रकाशपुंज का आधार बन,
स्वयं अग्नि में तपता हैll

पग-पग पर परछाई बनकर,
शिक्षक साथ निभाता है।
जिसे देखकर हर इक मानव,
आदर से झुक जाता हैll

गुरु करता है सबका पालन,
मात-पिता की मूरत है।
इस स्वारथ के संसार में,
गुरु ईश्वर की सूरत हैll

गुरु का उपकार न चुक सकता,
गुरु अनमोल फरिश्ता है।
गुरु ब्रह्मा विष्णु महेश्वर है,
गुरु का पावन रिश्ता हैll

संचित ज्ञान हमें देकर जो,
खुशियां खूब मनाता है।
अहंकार का नाम नहीं है,
गुरु ही भाग्य विधाता हैll

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा)डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बांदीकुई (राजस्थान) में जन्मे डॉ.सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी., साहित्याचार्य,शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ व्याख्यात्मक पुस्तक प्रकाशित हैं। कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘नवनीत’ है। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो 
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’

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