बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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दीपावली पर्व स्पर्धा विशेष ……

जगमग दीप जले घर-घर में,
लेकर खुशियाँ आयी है।
रंग-बिरंगे परिधानों में,
सबके मन को भायी है॥
धनतेरस की पावन बेला,
जगमग दीप जलाते हैं।
स्वस्थ होत है तन-मन जिससे,
धन्वन्तरी बताते हैं॥
लेकर के सौगातें देखो,
शुभ दीवाली आयी है।
जगमग दीप जले घर-घर में,
लेकर खुशियाँ आयी है॥
नरकासुर राक्षस को मारे,
इस दिन श्री बनवारी थे।
लौटे रावण मार अवध को,
राम विष्णु अवतारी थे॥
स्वागत दीप जलाते दिल से,
खुशियाँ मन में छायी है।
जगमग दीप जले घर-घर में,
लेकर खुशियाँ आयी है॥
माता लक्ष्मी और गजानन,
वांछित वर दे जाते हैं।
खील बताशे भोग आरती,
पूजन शुभ फल पाते हैं॥
घर-आँगन में खुशियाँ देखो,
सबके मन में छायी है॥
जगमग दीप जले घर-घर में,
लेकर खुशियाँ आयी है॥