श्रद्धांजलि संदेश….
हिंदी और भारतीय भाषाओं के प्रबल सेवक मान्यवर जगदीशप्रसाद वैदिक के सबसे बड़े सुपुत्र श्रद्धेय वेदप्रताप वेदिक का इस जीवन से मुक्त होना हर भारतीय भाषा के सेवी के लिए असहनीय है। अपने पिताजी से प्रेरणा ग्रहण करके अपनी भाषाओं के लिए संघर्ष करने वाले वेदप्रताप जी ने जीवन में हर समय, हर अवसर पर हर संभव योगदान दिया है। मेरी जानकारी के अनुसार वेदप्रताप जी ने अपनी भाषाओं के लिए इंदौर के नेहरू प्रशाल में ११-१२-१३ अगस्त १९९० में ‘अंग्रेज़ी हटाओ सम्मेलन’ आयोजित करके देश की सभी प्रमुख हस्तियों को एकसाथ आमंत्रित कर लिया था। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायमसिंह यादव ने इंदौर में ११ अगस्त को अंग्रेज़ी हटाओ सम्मेलन का उद्घाटन किया।
-निर्मल कुमार पाटौदी, इंदौर (मप्र)
वैदिक जी जैसा न उनके जीवन काल में कोई था, न अब है। जब वे अपनी अक्षुण्ण ऊर्जा-बहुआयामी सक्रियता- चिंतन-लेखन-यात्राओं-व्याख्याओं-व्याख्यानों में पूर्ववत व्यस्त रहते हुए अचानक हमारे हिंदी जगत को ग़रीब बनाकर चुपके से उधर चले गए हैं, सीखने-प्रेरणा पाने की समृद्ध विरासत छोड़कर। नमन।
-राहुल देव, दिल्ली
विश्वास से परे है उनका जाना।बहुत-बहुत भारी आघात है। अस्तित्व विदारक! इसी ५ मार्च को तो ब्रज कला केन्द्र का होली का कार्यक्रम था। उनके साथ २ घंटे बिताए थे। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि!
-अशोक चक्रधर, दिल्ली
भरोसा यहाँ पर किसी का करना, कि एक पल में मंज़र बदल जाएगा। अभी बात करता है चिड़ियों के मानिंद, अभी पंख फैला कर उड़ जाएगा। ११ तारीख़ को विस्तार से अति प्रसन्न चित्त मेरी बात हुई। ऐसे भी कोई जाता है क्या ?
-डॉ. मृदुल कीर्ति, ऑस्ट्रेलिया
भारतीय भाषाओं के एक महान योद्धा का गमन। वे वैश्विक हिंदी सम्मेलन के सलाहकार भी थे और भारतीय भाषाओं को लेकर अक्सर उनसे चर्चा होती थी। जंतर-मंतर पर आयोजित भारत नाम तथा जनभाषा में न्याय, शिक्षा और रोजगार के कार्यक्रम में भी वे सम्मिलित हुए थे। वैश्विक हिंदी सम्मेलन परिवार की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।
-डॉ. मोतीलाल गुप्ता ‘आदित्य’, मुम्बई (महाराष्ट्र)
विश्वास नहीं हो रहा कि वैदिक जी नहीं रहे। कुछ सप्ताह पहले ही तो उनके किसी विचार पर मैंने अपने विचार साझा किए। पिछले वर्ष डॉ. मोतीलाल गुप्ता ने जूम के माध्यम से भेंट कराई थी। भारत को इंडिया मत कहो, साथ ही मेरे हिंदी पर विचारों को उन्होंने खुले मंच पर सराहा और समर्थन किया। मुझे उनसे हिंदी के उत्थान को लेकर बहुत आशा थी। बेबाक लिखते, बोलते थे।उन जैसे व्यक्ति को अभी नहीं जाना था। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। ॐ शांति।
-सुभाष शर्मा, ऑस्ट्रेलिया
विनम्र श्रद्धांजलि, ॐ शांति।
-प्रो. उषा शुक्ला, दक्षिण अफ्रीका
हिंदी के महान पक्षधर और जुझारू योद्धा, युगांतरकारी पत्रकार डाॅ. वेदप्रताप वैदिक को विनम्र श्रद्धांजलि। ईश्वर से प्रार्थना है कि वह दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें। ॐ शांति: शांति: शांति:।
-करुणाशंकर उपाध्याय, मुम्बई (महाराष्ट्र)
बहुत कुछ जानने को मिला पुण्यात्मा वैदिक जी के अद्भुत व्यक्तित्व के विषय में। माँ भारती की भाषा के सशक्तिकरण-सम्पुष्टिकरण हेतु सार्थक और सफल जीवन व्यतीत किया वैदिक जी ने। वास्तव में रिक्तता अनुभव हुई। पुण्यात्मा के पंच तत्व ही पंच तत्वों में विलीन होंगे। उनकी हिंदी भाषा को दी गई सेवाएं उन्हें चिरकाल तक हिंदी चिंतकों की स्मृति में संजोए रखेंगी। सादर आत्मीय नमन।
-डॉ. विजय कुमार मल्होत्रा, दिल्ली
वरिष्ठ पत्रकार, विदेश नीति के मर्मज्ञ, भारतीय भाषा सेनानी एवं भारत नाम के पैरोकार डॉ. वेदप्रताप वैदिक के निधन पर श्रद्धांजलि।
-सुन्दर बोथरा (संरक्षक-वैश्विक हिंदी सम्मेलन)
वैदिक जी हिंदी की अग्रिम पंक्ति के योद्धा थे। निश्चित रूप से उनकी कमी से हिंदी के लिए संघर्षरत हिंदी प्रेमियों को एक संरक्षक का अभाव अखरेगा। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।
-डॉ. राजेश्वर उनियाल
अत्यंत दुःखद समाचार है। वैदिक जी का इस तरह जाना हिंदी जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।
-राजीव वार्ष्णेय
बहुत ही दु:खद, कभी-कभी उनसे बात होती थी। उनकी कमी बहुत खलेगी। प्रार्थना करता हूँ कि ईश्वर उन्हें अपने सान्निध्य में लें। ओम् शान्ति।
-डॉ. रामवृक्ष सिंह
अत्यंत दुखद समाचार। वैदिक जी का चले जाना हिन्दी जगत में एक गहरा रिक्त स्थान बना गया। ईश्वर उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान दें। परिवार को इस असीम दुःख को सहन करने की शक्ति दें।
-श्री पाठक
अत्यंत दुखद समाचार। आजीवन हिंदी के योद्धा रहे डॉ. वैदिक जी को विनम्र श्रद्धांजलि।
-हरिपाल सिंह
बहुत दुखद। वेद प्रताप वैदिक जैसे एक वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, भाषाविद और पत्रकारिता जगत के एन्साइक्लोपीडिया का यूँ अचानक चला जाना हतप्रभ करता है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को मोक्ष प्रदान करें।
-डॉ. मोहन बहुगुणा
हिंदी के युगांतरकारी पत्रकार, लेखक डाॅ. वेदप्रताप वैदिक को विनम्र श्रद्धांजलि। ईश्वर से प्रार्थना है कि वह दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।
-डॉ. मीना पांडेय
दुःखद, मन बहुत आहत है। विनम्र श्रद्धांजलि ॐ शांति।
-कवयित्री शैलजा सिंह
हिंदी के प्रति समर्पित विद्वान पत्रकार, स्तंभकार, लेखनी के धनी वेदप्रताप वैदिक जी की स्मृति को सादर नमन।
-साकेत सहाय
अत्यंत दुखद समाचार। हिंदी के अप्रतिम योद्धा का असामयिक देहावसान। सादर नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि।
-डॉ. गुलाब चंद यादव
भारतीय भाषाओं का सशक्त योद्धा चला गया। ईश्वर दिवंगत आत्मा को मोक्ष प्रदान करें।
-संजय भारद्वाज
दुखद समाचार, भगवान उनकी आत्मा को सद्गति दे। ॐ शांति।
-आरुणि त्रिवेदी
ओह, बहुत ही दुखद! वे हिंदी के अप्रतिम योद्धा थे। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।
-डॉ. बरुण कुमार
भगवान डॉ. वैदिक जी की आत्मा को शांति दें और उनके परिवार को इस अपूरणीय क्षति को सहने की शक्ति दें। ओम शांति, ओम शांति, ओम शांति।
-देवी प्रसाद मिश्र
हिन्दी के लिए, भारतीय भाषाओं के लिए तत्पर रहने वाले वेदप्रताप वैदिक जी का निधन एक अपूरणीय क्षति।ईश्वर उन्हें अपने चरणों में स्थान दें।
-डॉ. निर्भय प्रताप सिंह
प्रभु डॉ. वैदिक की स्वर्गीय आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और उनके शोक-संतप्त परिजनों को ढांढस बंधाए। ॐ शांति, शांति, शांति।
-बीरेंद्र रावत
अत्यंत दुःखद समाचार है। वैदिक जी का इस तरह जाना हिंदी जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।
-पुनीत मिश्र
इन मित्रों ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की है-
प्रवीण जैन (मुंबई), वीना सिंह (मुंबई), राजेंद्र सिंह रावत (मुंबई), जे.पी सिंह (मुंबई), कृष्ण मोहन मिश्र (मुंबई), मुकुल त्यागी (मुरादाबाद), मनीषा नाडगोडा (बेलगांव), जय शंकर यादव (बेलगांव), राजकिशोर सिन्हा (दिल्ली) साहेबराव सोनावणे (औरंगाबाद), अधिवक्ता इंद्रदेव (पटना), राजकुमार हिंदुस्तानी, राजेश कुमार (दिल्ली), महेश सिंह, कल्पना वर्मा (मुंबई), थैंकामोनी अम्मा, सरोज कौशिक, अरुण कुमार जैमिनी, सत्या त्रिपाठी, विजय नगरकर (अहमद नगर)।
(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई)