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सबसे खतरनाक होता है सपनों का मर जाना-डॉ. गौतम

साहित्य के क्षेत्र में डॉ. किशोर सिन्हा को महासितारा बताया सिद्धेश्वर ने

पटना (बिहार)।

साहित्य और साहित्यकार को परखने में सिद्धेश्वर जी की दृष्टि व बौद्धिकता अतुलनीय है।कोने-कोने से साहित्यकार रूपी मोती को चुन-चुनकर लाते हैं। यही बड़ी उपलब्धि है। सबसे खतरनाक सपनों का मर जाना होता है।
वरिष्ठ कथा लेखिका डॉ. मनोरमा गौतम (दिल्ली) ने यह बात भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वाधान में आभासी माध्यम से आयोजित कथा सम्मेलन में अध्यक्षता करते हुए कही।
संचालन करते हुए संस्थापक अध्यक्ष एवं संयोजक सिद्धेश्वर ने कहा कि, बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं डॉ. किशोर सिन्हा, जिन्होंने अवकाश प्राप्ति के पश्चात भी कविता, कहानी और आत्मकथा लिखने में अपनी पूरी शक्ति झोंक दी है, और उसी का परिणाम है कि, डॉ. सिन्हा द्वारा लिखित आत्मकथा ‘तीस साल लंबी सड़क’ पढ़ते हुए कहानी, उपन्यास, रूपक का मिश्रित रूप पढ़ने का एहसास होता है। डॉ. सिन्हा के लेखन में कोई बनावटीपन नहीं, कोई कलाबाजी नहीं है। बनावटीपन से दूर साहित्य एवं कला के क्षेत्र से उभरे हुए महासितारा लेखक हैं डॉ. सिन्हा। इनकी ४ पुस्तकों पर समीक्षात्मक टिप्पणी करते हुए सिद्धेश्वर ने कहा कि, ‘तीस साल लंबी सड़क’ नाम से इस वृहत पुस्तक में उन्होंने अपने जीवन के बहुमूल्य ३० साल के लंबे सफर को समेटने का सार्थक प्रयास किया है।
परिषद की सचिव ऋचा वर्मा ने बताया कि, मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सिन्हा ने कहा कि, यह कहना गलत होगा कि आज के पाठक लंबी कहानियां या उपन्यास पढ़ना नहीं चाहते हैं। बड़ी-बड़ी फिल्में या उपन्यास आज भी देखें और पढ़े जा रहे हैं।
सम्मेलन में विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ कथाकार जयंत जी ने कहानी ‘दरकती जमीन’, ऋचा वर्मा ने कहानी ‘प्रेम की रेखाएं’ और विजया कुमारी मौर्य ने ‘बुद्ध तुम कहां मिलोगे’ कहानी का पाठ किया। स्निग्धा जी, रश्मि लहर एवं सपना चंद्रा आदि ने भी कहानी पाठ किया।

इन कथाकारों के अतिरिक्त निर्मल कुमार डे, सुहेल फारुकी, सुधा पांडे, प्रियंका श्रीवास्तव शुभ्र और नीलम श्रीवास्तव आदि ने भी टिप्पणी प्रस्तुत की।

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