ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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श्रृंगार रस….
मैं सजाता रहूं हसीं ख्वाब,
मेरा हर ख्वाब तुम्हारे लिए है।
हसीन यादों में जो ढल जाए,
वो हर रात तुम्हारे लिए है।
जिस गली में हो पूनम का चाँद,
वो हर गली तुम्हारे लिए है।
जहां तारीफों के समां बंधने लगे,
वो महफ़िल तुम्हारे लिए है।
तुम सितम मुझ पर ढहाते रहो,
मेरी हर साँस तुम्हारे लिए है।
तुम हँसती रहो, मैं गुनगुनाता रहूं,
मेरा हर संगीत तुम्हारे लिए है।
मेरा तन-मन, जीवन की हर ख़ुशी,
सब कुछ तुम्हारे लिए है॥
परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।