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सभी देशों को शांति और अहिंसा का मार्ग दिखाने की आवश्यकता

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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महात्मा गांधी के जन्म दिवस (२ अक्टूबर) को पूरे विश्व में मनाया जाता है। भारत में इसे गांधी जयंती के रूप में मनाते हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने २ अक्टूबर का दिन ‘अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की थी। संयुक्त राष्ट्र के १९३ में से १४० देश यह दिवस मनाते हैं। अफगानिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान, जैसे देशों के साथ अफ्रीका और अमेरिकी देश भी इसको मनाते हैं।
महात्मा गांधी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे। वो हिंसा का सदैव विरोध करते थे। सत्य और अहिंसा को सबसे बड़ा हथियार मानते थे। उनकी ख्याति न सिर्फ भारत में, बल्कि पूरे विश्व में है। देश को आजाद करवाने के लिए उन्होंने कभी हिंसा का सहारा नही लिया। अपने साथियों को सदैव अहिंसा का रास्ता अपनाकर देश को आजाद करवाने की बात कही। बापू ने १९४२ में ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ जैसे अनेक आंदोलन चलाए, पर कभी भी हिंसा का सहारा नहीं लिया। जब किसी क्रांतिकारी ने हिंसा अपनाकर देश को आजाद कराने की बात कही, तो महात्मा गांधी ने उससे दूरी बना ली।
वो भगवदगीता, शांति और अहिंसा का संदेश देने वाली हिंदू मान्यताओं, जैन धर्म, लियो टोलस्टाय की शांतिवादी शिक्षाओं से बहुत प्रभावित थे। महात्मा गांधी बहुत आध्यात्मिक और ईश्वर को मानने वाले थे। वो अपनी शुद्धि के लिए सप्ताह में १ दिन मौन व्रत और वाणी पर संयम रखते थे।

श्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म २ अक्टूबर १९०४ को उत्तर प्रदेश के वाराणसी से दूर छोटे से रेलवे टाउन मुगलसराय में हुआ था। इन्होंने ९ जून १९६४ को भारत के प्रधानमंत्री का पद भार ग्रहण किया। उनके शासनकाल में १९६५ का भारत-पाक युद्ध शुरू हो गया। इससे पूर्व चीन का युद्ध भारत हार चुका था। शास्त्री जी ने अप्रत्याशित रूप से हुए इस युद्ध में नेहरू के मुकाबले राष्ट्र को उत्तम नेतृत्व प्रदान किया और पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी। इसकी कल्पना पाकिस्तान ने कभी सपने में भी नहीं की थी। ११ जनवरी १९६६ की रात में ही रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई। उनकी सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के लिए मरणोपरान्त भारत रत्‍न से सम्मानित किया गया।
आज दुनिया में हिंसा की घटनाएं हर दिन बढ़ रही है। जहाँ देखो युद्ध, दंगे गृहयुद्ध, लूटमार, आगजनी, आतंकवाद की घटनाएं हो रही है। हर देश में अलग अलग तरह की समस्याएं हैं। तालिबान, अलकायदा, आईएसआईएस जैसे आतंकवादी संगठन पूरे विश्व पर कब्जा करना चाहते हैं। अमरीकी देशों में नस्लवाद के चलते विदेशियों की हत्या हो रही है। इसराइल और फिलिस्तीन में अक्सर युद्ध होता है। उसी तरह अमेरिका, चीन और रूस के बीच अक्सर तनाव और युद्ध के हालात बन जाते हैं। अमेरिका और उत्तर कोरिया में हमेशा ही तनाव बना रहता है तो पाक-भारत में भी अक्सर तनाव और युद्ध की स्थिति बनी रहती है। पूरी दुनिया में बच्चों और महिलाओं के साथ अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। रूस और यूक्रेन के मध्य युद्ध के कारण अशांति का वातावरण है, ऐसी हालत में सभी देशो को ‘अंतर्राष्ट्रीय अंहिसा दिवस’ मनाना चाहिए और शांति का संदेश देना चाहिए।
मई २०१८ में भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा था कि आतंकवाद और हिंसा के अन्य रूपों का सामना करने के लिए विश्व में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का ‘अहिंसा’ का सिद्धांत बहुत प्रासंगिक है। महात्मा गांधी भारत की आत्मा की आवाज थे। महात्मा गांधी हमारा अतीत है, वह हमारा वर्तमान है और हमारा भविष्य भी है।
वर्तमान में दुनिया के ९ देशों के पास १६३०० परमाणु बम है, जो पूरी दुनिया को खत्म करने के लिए काफी है। नए देश भी परमाणु हथियार बना रहे हैं, ऐसे में आज विश्व बारूद के ढेर पर पहुँच गया है। इसलिए, विश्व के सभी देशो को शांति और अहिंसा का मार्ग दिखाने की आवश्यकता है। ‘अंतर्राष्ट्रीय अंहिसा दिवस’ विश्व के सभी देशों को संदेश देता है कि, हिंसा से कभी शांति नहीं लायी जा सकती। २ अक्टूबर का दिन बहुत स्मरणीय है, कि महात्मा गांधी के जन्म दिवस के साथ श्री शास्त्री जन्म दिवस मनाया जाता है।

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।

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