भोपाल (मध्यप्रदेश)
इस धरा पर अवतरित हुई जीवन सार आदरणीय गीता,
जीवन इनका सरल सादगी से परिपूर्ण जैसे बहती जीवन सरिता।
जिंदगी के हर मुश्किल पड़ाव पर अडिग शिला,
हरेक रंग रूप में सहज भाव, प्रेम इनसे हमको मिला।
ममता, प्रेम से सराबोर माँ का साक्षात् दिव्य दर्शन,
कुछ कही, कुछ अनकही, रूप-रंग से ओत-प्रोत समर्पण।
है पृथ्वी पर सौम्यता, सादगी, वात्सल्य का संगम,
मानों मानव रूप में अनवरत हुई, महासंयोग से महाकुंभ का त्रिवेणी संगम।
सुंदर, ओजस्वी, मनमोहक झलक लिए जन्मी गीता माँ,
जैसे ईश्वर की कृपा से प्राप्त वसुंधरा का अद्वितीय करिश्मा।
धन्य हुआ सम्पूर्ण जीवन पाकर स्वरूप मां की प्रतिछाया,
और कृतज्ञ हुए हम सभी मिली प्रति रूप (ईश्वरीय) में माँ गीता।
कम शब्दों में जीवन व्याख्या की झलक दिखलाती ‘तृप्ति’,
सदा रहेंगी हमारे दिलों में बन कर स्मरणीय स्मृति।
अनेक संघर्ष, तपस्या से परिपूर्ण है जीवन गाथा,
वहीं जीवन सार के रूप में मिली श्री मद्भागवत गीता॥
परिचय–तृप्ति तोमर पेशेवर लेखिका नहीं है,पर प्रतियोगी छात्रा के रुप में जीवन के रिश्तों कॊ अच्छा समझती हैं। यही भावना इनकी रचनाओं में समझी जा सकती है। साहित्यिक उपनाम-तृष्णा है। जन्मतिथि १६ नवम्बर एवं जन्म स्थान-विदिशा (मप्र) है। वर्तमान में भोपाल के जनता नगर-करोंद में निवास है। प्रदेश के भोपाल से ताल्लुक रखने वाली तृप्ति की लेखन उम्र तो छोटी ही है,पर लिखने के शौक ने बस इन्हें जमा दिया है। पीजीडीसीए व एम. ए. शिक्षित होकर फिलहाल डी.एलएड. जारी है। यह अधिकतर कविता लिखती हैं। एक साझा काव्य संग्रह में रचना प्रकाशन और सम्मान हुआ है। कुछ स्पर्धा में प्रथम भी आ चुकी हैं।