संजय जैन
मुम्बई(महाराष्ट्र)
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सर्दी मौसम में प्यार मोहब्बत की,
आपस में बातें होती है
सर्दी मौसम में मोहब्बत निभाने की,
कसमें खाई जाती है
और चलता है दौर आपस में,
मेल-मिलाप करने का
पर होती है दिल को पीड़ा,
सर्दी में बिछड़ने पर।
चारों ओर हरियाली,
कितनी छाई रहती है
मंद-मंद हवाओं के साथ,
हल्की ओस गिरती है
जिससे बदन सूकड़ा-सा,
और गरम हो जाता है।
जो दिल की गहराईयों में,
लम्बी आह भर देता है।
गर्म हुए बदन पर जब,
ओस की बूंदें गिरती है
तो अंदर से एक आवाज,
छन-सी आती है
जो दिल दिमाग को,
शून्य करके बेचैन कर देती है
और सीने की धड़कनों को,
और तेज कर देती है।
आँखें,होंठ और दिल भी,
अपनी कहानी कहते हैं
और तन-मन सब कुछ,
तड़पकर सुस्त होने लगता है
न कुछ खाया-पिया जाता है,
न ही बिना उनके जिया जाता है।
दिल में लगी है जो आग,
उससे सिसकियां भर रहा है।
और ये सब कुछ सर्दियों के,
महीने में ही क्यों होता है…॥
परिचय– संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।