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सहयोग से भरा महापर्व

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’
जमशेदपुर (झारखण्ड)
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कितनी विस्तृत हमारी संस्कृति,
जब समझे होंगें जन आदित्य
जाना होगा प्रकृति का उपहार,
जगजीवन के लिए सूर्य प्रकाश।

द्वापर युग द्रौपदी हुई जो हताश,
महाभारत का भीषण विनाश
किया दृढ़ संकल्प पावन हृदय,
संतान रक्षा जय हेतु करूँ तप।

महापर्व छठ पूजन की विशेष,
सुहासिनी ने मांगा तब वरदान
विनती करूँ हे आदित्यनाथ,
तप-पूजन पावन छठ की महान।

प्रसन्न आदित्य दिया आशीष,
विधि में पवित्रता है अनिवार्य
निर्जला पावन मन तप त्योहार,
छठी देवी से की अनुनय विनय।

गाये गीत हे छठी मईया रानी,
अखंड रखिए मेरा अहिवात
परिवार रिश्ते सखियों का आप,
पीली लाल साड़ी सजी प्यारी।

भरी माँग श्रृंगार सुकोमल नारी,
पुरुष भी बढ़ के करते व्रत-पूजा
करबद्ध विनती जल में ठारी
सजा बाँस का सुंदर डाला सूप।

ऋतु फल ठेकुआ शुद्ध सजावट,
कोसी भर दीप होए सुशोभित
आवश्यक स्वच्छ नदी तटों का,
मेला नदी तट उत्सव है सबका।

अर्ध्य देते गौ दुग्ध या जल भर,
अस्त हो रहे हो हे आदित्य देव
देते जाओ अपना जी आशीष,
कल फिर जीवन ज्योति लाना।

मातृत्व आशीष आँचल सजाना,
दु:ख अशांति पीड़ा दूर भगाना
आशाओं के सुंदर दीप जलाना,
सुख समृद्धि दीर्घायु जी रखना।

प्रात: अर्ध्य उगते आदित्य का,
आभार प्रभु जी कोटिश नमन
धरा आकाश जल वायु प्रकाश,
प्राणी के जीवन सुधा पंचतत्व।

सहयोग से भरा है ये महापर्व,
आवश्यकता इनकी है हर पल
ज्ञान यही पावन छठ पर्व देता
सत संयम त्याग तप औ स्नेह।

जिससे दमके चर-अचर जीवन,
माँगे हे आदित्य हे छठी माते
सर्व जीवन में आशीष बरसाना,
रक्षा करना सौभाग्य दमकाना।

परिवार स्नेह सौहार्द जोत जले,
यही संपत्ति धरोहर जनप्राणी की।
जिससे शोभित समाज मेरा देश,
विश्व को अनुपम संस्कृति संदेश॥

परिचय- डॉ.आशा गुप्ता का लेखन में उपनाम-श्रेया है। आपकी जन्म तिथि २४ जून तथा जन्म स्थान-अहमदनगर (महाराष्ट्र)है। पितृ स्थान वाशिंदा-वाराणसी(उत्तर प्रदेश) है। वर्तमान में आप जमशेदपुर (झारखण्ड) में निवासरत हैं। डॉ.आशा की शिक्षा-एमबीबीएस,डीजीओ सहित डी फैमिली मेडिसिन एवं एफआईपीएस है। सम्प्रति से आप स्त्री रोग विशेषज्ञ होकर जमशेदपुर के अस्पताल में कार्यरत हैं। चिकित्सकीय पेशे के जरिए सामाजिक सेवा तो लेखनी द्वारा साहित्यिक सेवा में सक्रिय हैं। आप हिंदी,अंग्रेजी व भोजपुरी में भी काव्य,लघुकथा,स्वास्थ्य संबंधी लेख,संस्मरण लिखती हैं तो कथक नृत्य के अलावा संगीत में भी रुचि है। हिंदी,भोजपुरी और अंग्रेजी भाषा की अनुभवी डॉ.गुप्ता का काव्य संकलन-‘आशा की किरण’ और ‘आशा का आकाश’ प्रकाशित हो चुका है। ऐसे ही विभिन्न काव्य संकलनों और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में भी लेख-कविताओं का लगातार प्रकाशन हुआ है। आप भारत-अमेरिका में कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध होकर पदाधिकारी तथा कई चिकित्सा संस्थानों की व्यावसायिक सदस्य भी हैं। ब्लॉग पर भी अपने भाव व्यक्त करने वाली श्रेया को प्रथम अप्रवासी सम्मलेन(मॉरीशस)में मॉरीशस के प्रधानमंत्री द्वारा सम्मान,भाषाई सौहार्द सम्मान (बर्मिंघम),साहित्य गौरव व हिंदी गौरव सम्मान(न्यूयार्क) सहित विद्योत्मा सम्मान(अ.भा. कवियित्री सम्मेलन)तथा ‘कविरत्न’ उपाधि (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ) प्रमुख रुप से प्राप्त हैं। मॉरीशस ब्रॉड कॉरपोरेशन द्वारा आपकी रचना का प्रसारण किया गया है। विभिन्न मंचों पर काव्य पाठ में भी आप सक्रिय हैं। लेखन के उद्देश्य पर आपका मानना है कि-मातृभाषा हिंदी हृदय में वास करती है,इसलिए लोगों से जुड़ने-समझने के लिए हिंदी उत्तम माध्यम है। बालपन से ही प्रसिद्ध कवि-कवियित्रियों- साहित्यकारों को देखने-सुनने का सौभाग्य मिला तो समझा कि शब्दों में बहुत ही शक्ति होती है। अपनी भावनाओं व सोच को शब्दों में पिरोकर आत्मिक सुख तो पाना है ही,पर हमारी मातृभाषा व संस्कृति से विदेशी भी आकर्षित होते हैं,इसलिए मातृभाषा की गरिमा देश-विदेश में सुगंध फैलाए,यह कामना भी है

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