हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
************************************
सात फेरों के इस बंधन में, कभी हमारा साथ नहीं छूटे
दिलों में नफरत नहीं हो,
विश्वास इतना हो कि
जीवन में कभी भी साथ नहीं छूटे।
जन्मों के इस बंधन में,
भरोसे का दामन थाम लिया जब हमने,
साथी दु:ख में, सुख में साथ नहीं छूटे।
लाख मुश्किलों में भी,
प्यार मरहम बना रहे
हम दोनों का यह साथ
नहीं छूटे।
शादी के इस भंवर में हवन वेदी पर,
जो सात जन्मों तक साथ निभाने की कसम खाई थी हम दोनों ने,
वह कसम ना टूटे।
कभी भी साथ नहीं छूटे,
दिलों में नफरत नहीं हो।
विश्वास बना रहे जीवन में,
साथ नहीं छूटे…॥