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सुनो कन्हैया

कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’
मुंगेर (बिहार)
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रचनाशिल्प:छंद शास्त्र के अनुसार तंत्री छंद ३२ मात्राओं का सम-मात्रिक छंद है, जिसमें ८, ८, ६, १० मात्रा पर यति का विधान है तथा ८, ८ पर अंत्यानुप्रास होना चाहिए। पदांत में गुरु गुरु (२२) आवश्यक है।
सभी छंदों की तरह इसमें भी ४ पद होते हैं। २-२ पद अथवा चारों पद समतुकांत रखे जा सकते हैं।/

सुनो कन्हैया, जगत रचैया,
कब मेरे, घर तुम आओगे।
राह निहारे, नैन हमारे,
बोलो कब, दरस दिखाओगे॥
देखो कान्हा, जल्दी आना,
माखन का, भोग लगाऊँगी।
हे मधुसूदन, करती वंदन,
चरणों में, शीश नवाऊँगी॥

कहते हैं सब, तुमको केशव,
सबके दुःख, को तुम हरते हो।
हे दुखहर्ता, मंगलकर्ता,
दुष्टों का, वध तुम करते हो॥
मेरा वंदन, सुनो जनार्दन,
एक बार, प्रभु तुम आ जाओ।
मुझको कान्हा, मत बिसराना,
युग्मित छवि, कृष्ण दिखा जाओ॥