ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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गुड़ी पड़वा विशेष….

नहीं अप्रैल मूर्ख माह,
विदेशी संस्कृति दाह।
पावन मानो चैत्र को,
मेरी पवित्र सलाह।
अप्रैल मूर्ख होने दो,
चैत्र मेरा न खोने दो।
चैत्र फूल भरी क्यारी,
वर्ष हर्ष डुबोने दो।
चैत्र नवदुर्गा पूजा,
माह बड़ी मातृ रूपा।
जिस माह जन्मे राम,
इससे बड़ा न दूजा।
विक्रम संवत शुरू,
संवत आगे भू गुरु।
ये माह गुड़ी पड़वा,
चैत्र को प्रणाम करूं।
आंग्ल का ‘मूर्ख दिवस’
जो जैसा क्या बहस।
बसंत है फूलों भरा,
है सुरभित सहज॥
परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।