अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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सृजक नारी,
मुस्कान है सबकी-
सबपे भारी।
करे पालन,
न अपमान करो-
वही आँगन।
मत डराओ,
सम्मान की आकांक्षी-
साथ निभाओ।
कर्म ही नारी,
रब जन्मा इससे-
हाय अबला !
करिए पूजा,
हर बात अप्रतिम-
मिले ना दूजा।
चाहती प्यार,
कम में रहे खुश-
देना सहारा।
आँसू मत दो,
नहीं दे रब माफी-
पूरा मान दो।
महिला कृति,
नहीं समझो बोझ-
नारी संस्कृति।
किया त्याग भी,
इस स्वार्थी जग में-
बनी मूरत।
सदा मर्यादा,
रखे नारी समाज-
करो सलाम॥