सीमा जैन ‘निसर्ग’
खड़गपुर (प.बंगाल)
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बहुत चढ़ी यदि देश की सेवा, राजनीतिक परिवारों को
टिकट कटाओ सियाचीन का,
हाथ बँटाओ सेना को।
मदद करो कभी सैनिकों की, जाकर देश की सीमा पर
कितनी शुद्ध तुम्हारी मंशा,
जान हथेली पर दिखाओ गर।
राजगद्दी से देश चलाना,
स्वीकार नहीं हमें ऐसी सेवा
पहले करो सीमा की रक्षा,
तभी विश्वास जीतेंगे नेता।
सुख से रहते महलों में,
जनता की इनको फिक्र नहीं
परिवारवाद को आगे रखते,
कोई शरम-लिहाज़ नहीं।
जनता-सेवा का दम भरते,
दिल में किंचित करुणा नहीं
भला ये क्या देखेंगे जनता को,
देश से इनको प्रेम नहीं॥