Total Views :142

You are currently viewing हिंदी है अभिमान

हिंदी है अभिमान

सुखमिला अग्रवाल ‘भूमिजा’
मुम्बई(महाराष्ट्र)
*********************************************

भारत की आत्मा ‘हिंदी’ व हमारी दिनचर्या….

हिन्द देश की पावन सरिता,
हिन्दी जिसका नाम है
जन-जन के दिल में बहती,
भारत का सम्मान है।

हिन्दी भाषा सरल मधुर,
बिन्दी सोहे भाल है
छंदों-गीतों में छलके,
अनुपम अद्भुत ताल है।

हिन्दी अलंकृत आन-बान,
मातृभाषा विज्ञान है
इसकी छाँव तले जीवन,
सुरभित सुमन सुजान है।

भावों के हैं शब्द निराले,
शब्द कमल सजते हैं
वेद-पुराणों की वर्णिका,
संस्कृति सज्जित लताएं हैं।

माँ समान हिन्दी हमारी,
सहज सरल सुदृढ प्यारी
भारत का अभिमान है हिंदी,
अद्भुत अनुपम शोभित है बिंदी।

हिंदी अभिव्यक्ति का चंदन है,
सुरभित हो महके जीवन।
हर दिल की धडकन हिंदी है,
शब्द-शब्द है मधुबन॥

परिचय-सुखमिला अग्रवाल का उपनाम ‘भूमिजा’ है। आपका जन्म स्थान जयपुर (राजस्थान) एवं तारीख २१ जुलाई १९६५ है। वर्तमान में मुम्बई स्थित बोरीवली ईस्ट(महाराष्ट्र)में निवास,जबकि स्थाई पता जयपुर ही है। आपको हिंदी,मारवाड़ी व अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। हिंदी साहित्य व समाज विज्ञान में स्नातकोत्तर के साथ ही संगीत में मध्यमा आदि की शिक्षा प्राप्त की है। नि:शुल्क अभिरुचि कक्षाएं चला कर पढ़ाने के अलावा महिलाओं को जागृत करने के कार्य में भी आप सतत सक्रियता से कार्यरत हैं। लेखन विधा-काव्य (गीत,छंद आदि) एवं लेख,संस्मरण आदि है। १० साँझा संग्रह में इनकी रचनाएँ हैं तो देश के विभिन्न स्थलों से समाचार पत्रों में भी स्थान मिलता रहता है। लगभग २५० सरकारी,गैर सरकारी संस्थाओं से आपको सम्मान व पुरस्कार मिल चुके हैं। ब्लॉग पर भी सक्रियता है,तो विशेष उपलब्धि प्रकाशित रचनाओं पर प्राप्त प्रतिक्रिया से मनोबल बढ़ना व अव्यक्त खुशी मिलना है। सुखमिला अग्रवाल की लेखनी का उद्देश्य-सर्वप्रथम आत्म संतुष्टि तो दूसरा-विलुप्त होती जा रही हमारी संस्कृति से आने वाली पीढ़ी को परिचित करवाना,महिलाओं को जागृत करना तथा उदाहरण प्रस्तुत करना है। इनके पसंदीदा लेखक सभी छायावादी रचनाकार हैं,तो प्रेरणापुंज-आदर्श स्वतंत्रता सेनानी नानी,पिता एवं बड़े भाई हैं।
हिंदी के प्रति विचार-‘हिंदी मेरी माँ है,मित्र है,संरक्षक है,मेरा दिल,दिमाग,आत्मा है।’

Leave a Reply