डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
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बांग्ला आमार मातृभाषा,
साहित्य है इसका महान
हिन्दी है राष्ट्रभाषा,
इससे जुड़ता हिन्दुस्तान।
गुजराती सरस छे,
प्रसिद्ध है इनके फरसाण
मराठी माणूस छान आहे,
श्रद्धालु हैं गणपति के।
चेन्नई रहकर तमिल सीखी,
‘कुंजम-कुंजम’ याद है
ओड़िया, असमी कुछ-कुछ समझूं,
संगीत में है इनके महानदी और ब्रम्हपुत्र की तान।
हिन्दी है मेरा पहला प्यार,
इसमें है अभिव्यक्ति अपार
प्रदेश मेरा हिन्दी प्रधान है,
हिन्दी का है एक विशिष्ट स्थान।
हिन्दी की है अनेक बोलियाँ,
छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया
पंजाबी गानों की बल्ले-बल्ले,
हिन्दी से है वो ओत-प्रोत।
अंग्रेजी मेरी जीविका है,
ज्ञान का बहुत बड़ा स्रोत है
कविता-कहानी लिखी हैं जबसे,
मिली है एक नई पहचान।
हिन्दी मेरा प्रथम प्रेम है,
बाकी सब है दूजा
गद्य-पद्य हिन्दी में,
अब लिखती हूँ शान से।
देश एक, पर भाषा अनेक हैं,
हर भाषा की खूबी जानो
फिर भी हिन्दी खास बहुत है,
जोड़े सबका हृदय एकसाथ।
आन है हिन्दी,
मान है हिन्दी।
हर दिल की धड़कन और,
सम्मान है हिन्दी॥
परिचय- शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक (अंग्रेजी) के रूप में कार्यरत डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती वर्तमान में छतीसगढ़ राज्य के बिलासपुर में निवासरत हैं। आपने प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर एवं माध्यमिक शिक्षा भोपाल से प्राप्त की है। भोपाल से ही स्नातक और रायपुर से स्नातकोत्तर करके गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (बिलासपुर) से पीएच-डी. की उपाधि पाई है। अंग्रेजी साहित्य में लिखने वाले भारतीय लेखकों पर डाॅ. चक्रवर्ती ने विशेष रूप से शोध पत्र लिखे व अध्ययन किया है। २०१५ से अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय (बिलासपुर) में अनुसंधान पर्यवेक्षक के रूप में कार्यरत हैं। ४ शोधकर्ता इनके मार्गदर्शन में कार्य कर रहे हैं। करीब ३४ वर्ष से शिक्षा कार्य से जुडी डॉ. चक्रवर्ती के शोध-पत्र (अनेक विषय) एवं लेख अंतर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय पत्रिकाओं और पुस्तकों में प्रकाशित हुए हैं। आपकी रुचि का क्षेत्र-हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला में कविता लेखन, पाठ, लघु कहानी लेखन, मूल उद्धरण लिखना, कहानी सुनाना है। विविध कलाओं में पारंगत डॉ. चक्रवर्ती शैक्षणिक गतिविधियों के लिए कई संस्थाओं में सक्रिय सदस्य हैं तो सामाजिक गतिविधियों के लिए रोटरी इंटरनेशनल आदि में सक्रिय सदस्य हैं।