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संस्कार फटे क्यों है ?

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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संस्कार तेरे ये फटे क्यों है,
चहरे पे उलझी लटें क्यों है ?

क्या बेच खाई शर्म-हया!
मानवता के बीज घटे क्यों है ?

अफसोस अभी तक ग़म नहीं,
बीच राह में डटे क्यों है ?

लाज-शर्म कुछ है कि नहीं,
आपस में सटे क्यों है ?

बड़े-बुजुर्गों की मानते नहीं,
विचारों में बंटे क्यों है ?

क्या होगा मेरे देश का भविष्य!
मानवता से नटे क्यों है ??

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।