डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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देश की हिफाजत,
में लगे हुए हैं मेरे वीर
यही वजह है जो वो,
कहलाते हैं
भारतीय धरा के,
शौर्य व महावीर।
ठंड तेरी परवाह नहीं है मुझे,
कंपकंपाती रूह की
चाहतें नहीं है,
वतन से खूबसूरत
कोई धरा और धर्म नहीं है।
बस राष्ट्र का ऐश्वर्य और वैभव,
पर ही सब कुछ दिल में है यहां
सीने पर गोलियां चलेगी,
नहीं डर है कभी,
देश के वीरों को यहां।
वतनपरस्त रहते हुए,
वीरगति को प्राप्त करना ही है
अब मकसद और एक लक्ष्य है यहां,
देश है तो फिर
वीरों के लिए है जगत संसार,
अपना सारा जहां।
यही जज्बा तो है देशभक्ति,
नहीं तो फिर कुछ नहीं है यहां
समृद्ध राष्ट्र की है चिन्ता,
सब देशवासियों को यहां।
मौत का है नहीं डर,
सीमा की हिफाजत करने वाले को यहां,
न ही कोई डर है,
अब उन्हें सीमा पर यहां।
ज़िन्दगी सुनसान हुईं,
तो भी कोई गम नहीं
देश सुरक्षित रहे,यहीं है,
सब सुख-चैन यहां।
देशभक्ति पर यह सब कुर्बान हो,
राष्ट्रभक्ति सबसे शिखर पर रहे
महान् बना रहे अपना वतन खूब यहां,
राष्ट्र है तो हर शख्सियत है
स्वच्छंद और स्वतन्त्र हैं यहां,
देश सुरक्षित नहीं है तो,
कुछ भी नहीं है यहां।
आओ हम-सब मिलकर एक,
प्रण लेने चलें बढ़ें व आगे आएं।
देश की हिफाजत में,
क़दम से क़दम चलते हुए
प्रगति की राह पर आगे बढ़ते जाएं॥
परिचय-पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।