इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’
ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर)
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इसमें कोई दो राय नहीं है कि,अधिक सोचना निस्संदेह हानिकारक होता है,परंतु जब टक्कर असंख्य बलशालियों व प्रभावशालियों से हो रही हो और जेब में फूटी कौड़ी न हो तो उन परिस्थितियों में मात्र अधिक सोचना और उस पर साहसपूर्ण कार्रवाई करते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना ही लाभकारी होता है।
ध्यान रहे कि शत्रु देश के युद्ध से कहीं अधिक घातक गृहयुद्ध होता है,जिसमें सर्वनाश की संभावनाएं अधिक होती हैं। इसका महाभारत युद्ध एक बड़ा उदाहरण है,परंतु रामायण का युद्ध भी घर के भेदी से सावधान रहने की ही प्रेरणा देता है।
सत्य के प्रकाश में हमारे धार्मिक,पवित्र एवं पूज्यनीय ग्रंथ ‘गीता’ का उपदेश पारिवारिक सदस्यों और परम मित्रों के मुखौटों को भी सम्पूर्ण पारदर्शी बना देता है। इसमें पूज्य विष्णु अवतार श्रीकृष्ण जी ने स्पष्ट कहा हुआ है कि इस मृत्युलोक में कर्मों के अलावा कोई अपना नहीं है। अर्थात कुछ भी अपना नहीं है। यहां तक कि तथाकथित अपना शरीर भी ‘अपना’ नहीं है। इसलिए गीता के उपदेश का तात्पर्य यह है कि जीवन एक मृगतृष्णा के अलावा कुछ भी नहीं है।
अतः लोक-परलोक में अपनी दिनचर्या में किए ‘कर्मों’ पर गहन अध्ययन करना अर्थात ‘लोकहित व राष्ट्रहित’ पर मंथन करते हुए अधिक सोचना-विचारना लाभकारी ही नहीं,बल्कि ‘पुण्य कर्म’ कहलाता है। इसे समय-चक्र नष्ट नहीं कर सकता,चोर चुरा नहीं सकता और मृत्यु मार नहीं सकती।
परिचय– इंदु भूषण बाली का साहित्यिक उपनाम `परवाज़ मनावरी`हैL इनकी जन्म तारीख २० सितम्बर १९६२ एवं जन्म स्थान-मनावर(वर्तमान पाकिस्तान में)हैL वर्तमान और स्थाई निवास तहसील ज्यौड़ियां,जिला-जम्मू(जम्मू कश्मीर)हैL राज्य जम्मू-कश्मीर के श्री बाली की शिक्षा-पी.यू.सी. और शिरोमणि है L कार्यक्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों से लड़ना व आलोचना है,हालाँकि एसएसबी विभाग से सेवानिवृत्त हैंL सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप पत्रकार,समाजसेवक, लेखक एवं भारत के राष्ट्रपति पद के पूर्व प्रत्याशी रहे हैंL आपकी लेखन विधा-लघुकथा,ग़ज़ल,लेख,व्यंग्य और आलोचना इत्यादि हैL प्रकाशन में आपके खाते में ७ पुस्तकें(व्हेयर इज कांस्टिट्यूशन ? लॉ एन्ड जस्टिस ?(अंग्रेजी),कड़वे सच,मुझे न्याय दो(हिंदी) तथा डोगरी में फिट्’टे मुँह तुंदा आदि)हैंL कई अख़बारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंL लेखन के लिए कुछ सम्मान भी प्राप्त कर चुके हैंL अपने जीवन में विशेष उपलब्धि-अनंत मानने वाले परवाज़ मनावरी की लेखनी का उद्देश्य-भ्रष्टाचार से मुक्ति हैL प्रेरणा पुंज-राष्ट्रभक्ति है तो विशेषज्ञता-संविधानिक संघर्ष एवं राष्ट्रप्रेम में जीवन समर्पित है।