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अपनी एक अलग दुनिया रचती हैं किताबें-डॉ. मिश्र

अखिल भारतीय शब्द प्रवाह साहित्य सम्मान
म.प्र. ग्रंथ अकादमी के निदेशक ने किया क़लम साधकों का उज्जयिनी में सम्मान

उज्जैन(म.प्र.)।

किताबें अपने तरीके से अपने जीवन को जीती है। किताबें अपनी एक अलग दुनिया रचती है। मेले और दुनिया में बहुत अंतर है कईं बार मेलों में दुनिया खो जाती है।
यह बात म.प्र. ग्रंथ अकादमी के निदेशक एवं विक्रम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. राम राजेश मिश्र ने उज्जैन में दसवें अखिल भारतीय शब्द प्रवाह साहित्य सम्मान समारोह में अध्यक्षता करते हुए कही।
कालिदास अकादमी में राष्ट्रीय पुस्तक मेला मंच पर ७ सितम्बर शनिवार को आयोजित भव्य सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय पुस्तक न्यास दिल्ली के सम्पादक ललित किशोर मंडोरा(लालित्य ललित)ने कहा कि शब्द प्रवाह यह जो कार्यक्रम कर रहा है,वह प्रशंसनीय है। इस तरह के आयोजन होते रहना चाहिए,रचनाकारों को प्रोत्साहन मिलते रहना चाहिए। उज्जैन में यह पुस्तक मेला भी यही उद्देश्य को लेकर लगाया गया है।
अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा ने समारोह में उदबोधन देते हुए कहा कि रचनाकार को सतत अपनी प्रतिभा को निखारना चाहिए। जैसे योगी समाधि की अवस्था में तल्लीन हो जाता है,उसी प्रकार रचनाकार यदि रचनाकर्म में लीन नहीं होता है,तो वह रचना एक मशीनी रचना हो सकती है,कविता नहीं हो सकती। कविता कर्म एक साधक का कर्म है।
अतिथि युवा साहित्यकार राजकुमार जैन ‘राजन'(चित्तौड़)ने कहा कि कला के पौधे प्रतिभा की भूमि से उपजते हैं, और आस्था से संचित होते हैं। साहित्य और कला जीवन के सात्विक अनुष्ठान हैं। साहित्य वह दीपक है,जिसकी रोशनी लंबे समय तक समाज और देश को रोशन करती रहती है। शब्द प्रवाह साहित्यिक,सांस्कृतिक एवं सामाजिक मंच(उज्जैन) के तत्वावधान में अखिल भारतीय पुरस्कार और सम्मान इस समारोह में प्रदान किए गए। प्रदीप
‘नवीन'(इंदौर)की कृति ‘साथ नहीं देती परछाई’,लघुकथा के लिए श्रीमती महिमा श्रीवास्तव वर्मा(भोपाल)की कृति ‘आदम बोनसाई’,व्यंग्य के लिए अशोक व्यास (भोपाल) की कृति ‘विचारों का टैंकर’ को प्रथम सम्मान से पुरस्कृत किया गया। साथ ही डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडेय स्मृति खंडकाव्य सम्मान के लिए ज्योतिपुंज (उदयपुर) की कृति ‘सत् संकल्प’,स्व.श्रीमती सत्यभामा शुकदेव त्रिवेदी गीतकार सम्मान के लिए डॉ. घमंडीलाल अग्रवाल(गुरुग्राम)की कृति
‘कितना समय कठिन’,स्व. बालशौरि रेड्डी बाल साहित्य सम्मान के अन्तर्गत प्रथम के लिए श्री गोविंद शर्मा (हनुमानगढ़) की कृति ‘मुझे भी सिखाना’ तथा द्वितीय के लिए जयसिंह आशावत(नैनवा,बूंदी) की कृति ‘दादी अम्मा नई कहो कुछ’,इंजी. प्रमोद शिरढोणकर बिरहमान स्मृति नई कविता सम्मान के लिए श्रीमती शशि सक्सेना (जयपुर)की कृति ‘रिश्ते हुए सपने’, तथा प्रमोद शिरढोणकर स्मृति कहानी सम्मान के लिए डॉ. गरिमा संजय दुबे(इंदौर)की कृति ‘दो ध्रुवों के बीच की आस’ एवं स्व. लक्ष्मीनारायण सोनी स्मृति ग़ज़ल सम्मान के लिए डॉ. महेन्द्र अग्रवाल(शिवपुरी) की कृति ‘ फ़नकारी-सा कुछ तो है’ को पुरस्कृत किया गया। हिंदी मीडिया के सम्पादक चन्द्रकांत जोशी(मुम्बई)को भी सम्मान दिया गया। आयोजन में राजकुमार जैन ‘राजन’ की कृति ‘मन के जीते जीत’ और ‘रोबोट एक दिला दो राम’ के नेपाली भाषा संस्करण का विमोचन भी अतिथियों ने किया।
इस आयोजन का शुभारम्भ राजेश ‘राज’ की सरस्वती वंदना से हुआ। स्वागत भाषण संस्था सचिव संदीप ‘सृजन’ ने दिया। अतिथि स्वागत राजेश राजकिरण,भंवरलाल जैन,डॉ. हरिशकुमार सिंह,अशोककुमार रक्ताले, गड़बड़ नागर आदि ने किया। संचालन डॉ. राजेश रावल एवं कमलेश व्यास कमल ने किया। आभार संदीप ‘सृजन’ ने माना। आयोजन में शहर के कई प्रबुद्धजन एवं साहित्यकार उपस्थित थे।

हिंदीभाषा डॉट कॉम सम्मानित
इस सम्मान समारोह में साहित्यिक-सामाजिक पत्रकारिता के लिए हिंदीभाषा डॉट कॉम के सम्पादक अजय जैन ‘विकल्प’ (इंदौर)को शब्द प्रवाह मंच (उज्जैन)द्वारा ‘सम्पादक रत्न’ से सम्मानित किया गया। २०१९ के अखिल भारतीय साहित्यिक पुरस्कार के इस समारोह में लोकप्रिय वेबसाइट हिंदीभाषा डॉट कॉम को मातृभाषा हिंदी की सतत श्रेष्ठ साहित्यिक सेवा के लिए यह सम्मान शनिवार को कालिदास अकादमी में राष्ट्रीय पुस्तक मेले के मंच से वार्षिक समारोह में कार्यक्रम अध्यक्ष मध्यप्रदेश ग्रंथ अकादमी के निदेशक डॉ. राम राजेश मिश्र, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के सम्पादक लालित्य ललित (दिल्ली), विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा,और प्रसिद्ध बाल साहित्यकार राजकुमार जैन ‘राजन’ (चित्तौड़गढ़) नें भेंट किया।
बता दें कि,हिंदीभाषा डॉट कॉम (www.hindibhashaa.com) द्वारा साहित्य सेवा के लिए नवोदित-कनिष्ठ-वरिष्ठ रचनाकारों को विगत डेढ़ वर्ष सेइस मंच से जोड़ कर सतत हिन्दी का प्रचार,पोस्टकार्ड अभियान,स्पर्धाएं और सम्मान करना जारी है। ३० लाख पाठकों तक पहुंच चुके इस मंच को साहित्य सेवा के अन्तर्गत कनाडा और राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना से भी सम्मानित किया जा चुका है।

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