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अपने परिवेश को देखने से आती है रचनात्मकता

इंदौर (मप्र)।

रचनात्मकता अपने परिवेश को देखने से आती है। संतुष्टि रचनात्मकता को खत्म कर देती है।
यह विचार प्रसिद्ध लेखक, कला समीक्षक ओर शोधकर्ता चिन्मय मिश्र ने इंदौर स्थित माता जीजाबाई शासकीय स्नातकोत्तर कन्या महाविद्यालय में प्रारंभ हुई कार्यशाला में अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए। कार्यशाला हिंदी विभाग द्वारा रचनात्मक लेखन और उसके विविध आयाम विषय पर ९ नवंबर तक आयोजित है। पहले दिन मुख्य अतिथि साहित्यकार अमिता नीरव व विशिष्ट अतिथि सपना शिवाले सोलंकी(अपर परीक्षा नियंत्रक मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग) रहे। अमिता नीरव ने बताया कि भाषा की सरलता, सहजता और पाठक तक पहुंचनीयता रचनात्मक लेखन हेतु सर्वाधिक आवश्यक है। सपना सोलंकी ने कहा कि, रचनात्मक लेखन का सीधा संबंध पठन से हैl
प्रारंभ में विभागाध्यक्ष डॉ. वंदना अग्निहोत्री ने स्वागत किया। अतिथि परिचय डॉ. जयश्री भटनागर ने दिया। संचालन प्रो. शोभना व्यास ने किया। आभार गंगाराम डुडवे ने माना।

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