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उसका ही असर

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ 
उदयपुर(राजस्थान)

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देखते रहें उसको दिनभर।
उसका ही रहे इन पर असर॥
बने सजन उसके ही जीवी।
ए सखि दूजी ? ना सखि टी वी॥

बाहर निकलना हुआ मुश्किल।
घर में बैठकर लगाओ दिल॥
बंद हुआ अब कहीं निकलना।
ए सखि साजन ? ना ‘कोरोना॥’

बिना उसके मैं जियूं कैसे।
मेरे समीप है वह ऐसे॥
उससे लगता है मेरा दिल।
ए सखि साजन ? ना मोबाइल॥

दरवाजे पर जब हो खटका।
मेरा मन तभी वहीं अटका॥
बैठ जाती मैं साधकर दम।
ए सखि क्या डर ? ना प्रियतम॥

रातों को आँखों में बसकर।
आता रहता है वह सजकर॥
लगने लगता है वह अपना।
ए सखि साजन ? ना सखि सपना॥

परिचय–संजय गुप्ता साहित्यिक दुनिया में उपनाम ‘देवेश’ से जाने जाते हैं। जन्म तारीख ३० जनवरी १९६३ और जन्म स्थान-उदयपुर(राजस्थान)है। वर्तमान में उदयपुर में ही स्थाई निवास है। अभियांत्रिकी में स्नातक श्री गुप्ता का कार्यक्षेत्र ताँबा संस्थान रहा (सेवानिवृत्त)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समाज के कार्यों में हिस्सा लेने के साथ ही गैर शासकीय संगठन से भी जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता,मुक्तक एवं कहानी है। देवेश की रचनाओं का प्रकाशन संस्थान की पत्रिका में हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जिंदगी के ५५ सालों के अनुभवों को लेखन के माध्यम से हिंदी भाषा में बौद्धिक लोगों हेतु प्रस्तुत करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-तुलसीदास,कालिदास,प्रेमचंद और गुलजार हैं। समसामयिक विषयों पर कविता से विश्लेषण में आपकी विशेषज्ञता है। ऐसे ही भाषा ज्ञानहिंदी तथा आंगल का है। इनकी रुचि-पठन एवं लेखन में है।

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