हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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आतंक, विनाश और ज़िंदगी (पहलगाम हमला विशेष)…
विकसित भारत का डंका जब पूरे विश्व में बज रहा है, यह कन्याकुमारी से कश्मीर तक है, तो इसकी संस्कृति के सभी कायल हो गए हैं। भारत की एकजुटता व भाईचारे-सौहार्द से दुनिया भी मुरीद है, फिर ऐसे समय में भारत को तिरछी नजर से देखने वाले दुश्मनों को यह बात अच्छी नहीं लग रही है। तभी तो दुश्मनों की नजर हमारे भारत के जम्मू-कश्मीर को लग गई है। जम्मू कश्मीर की फ़िजा, अमन व शांति के तराने गाते हुए युवा पीढ़ी आगे बढ़ रही थी, केसर की क्यारियों में जो सकारात्मक ऊर्जा आ रही थी, वह स्थानीय जनमानस के लिए ज़िंदगी का सुकून था, जिसे एक बार फिर आतंक के काले चेहरों ने अपना नकारात्मक खेल दिखा ही दिया। आज़ादी के बाद यहाँ डर, भय, नफ़रत और आपसी मतभेद के बीज इतने बो रखे थे कि शांति आते-आते इतने वर्ष लग गए थे। पत्थरबाज़ी, गोलीबारी और बम धमाके से दहलते कश्मीर में अब कुछ वर्षों से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का स्वाद आया था। तभी पड़ोसी दुश्मनों की पनाह में रहने वाले आतंकवादियों ने आतंक का ऐसा काला साया फैला दिया, जिसकी दहशत सालों तक कश्मीर स्थित पहलगाम में बनी रहेगी। भयभीत मंजर के कारण अब शब्द जो मौन हो गए हैं, जिसने भी इस दृश्य को देखा, वह थम सा गया है। ऐसी खौफनाक मौत, जो उन बहन, बेटियों, महिलाओं और बच्चों ने अपने परिजनों की सामने देखी, कभी भूल नहीं सकेंगे। आज सुहागन स्त्रियों का सुहाग उनके सामने आतंकवादियों ने उजाड़ दिया। उनने जो देखा, उनकी सात पुश्तें भी डर व भय में जीएंगी। बहुत हो चुका, अब पड़ोसी दुश्मन पकिस्तान को आर- पार की लड़ाई में जबाब देना होगा। निहत्थे लोगों को धर्म के आधार पर मारने वाले इन आतंकियों को नेस्तनाबूद कर देना चाहिए। आखिर भारत के लोग आतंक के काले साए के तले कब तक दबे रहेंगे ?
जम्मू-कश्मीर का पहलगाम, जो पर्यटकों के लिए जन्नत से बढ़कर था, हमेशा गुलजार रहता था, उस जगह आतंकियों ने तबाही मचाई है तो इस विनाशलीला को देखने के बाद फिर क्या कोई वहाँ जाएगा ? इसी के दम पर तो कश्मीर के स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है। पर्यटन क्षेत्र को गति देने वाले लोगों को गोलियों से भून डालने वाले लोगों को अब कड़ा सबक सिखाना ही होगा।
बेगुनाह पर्यटकों को मौत के घाट उतारने और नापाक इरादे रखने वालों ने बहुत कायराना हरकत की है। एक खुशहाल राज्य में पहलगाम हमला एक काला दाग़ है, जो बहुत सालों तक भी मिटने वाला नहीं है। कश्मीर का लाल चौक, जहां तिरंगा शान से लहरा रहा है, लेकिन वहाँ की आबो-हवा में अब न जाने कैसी हवा चल रही है ? ऐसा न हो ऐसी जगहों पर इन पर्यटकों की चहल-पहल खत्म हो जाए। इसकी चिंता करते हुए राज्य व भारत सरकार को मिलकर लोगों की सुरक्षा की मज़बूत जवाबदेही लेनी होगी। ऐसा सुरक्षित वातावरण व सुरक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए, जिससे यहाँ का करोबार बर्बाद न हो।
कुछ साल पहले ही कश्मीर ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सही अर्थ में करीब से देखा है, कश्मीर के लोगों ने सही तरीके से ज़ीना सीखा है, तब पड़ोसी दुश्मन के नकाबपोश आतंकियों ने उन पर कहर बरपाया है। इस बार तो आतंक ने धर्म को देखकर मौत दी। ऐसा लगता है कि हमारी एकता, अखंडता, भाईचारे व भारतीय संस्कृति को खण्डित करने का कुचक्र रच रहे इन दुश्मनों को सबक सिखाने का समय आ गया है। जो प्रहार भारत पर आतंकवादियों ने किया है, तो इन्हें भारत अब छोड़ने वाला नहीं है। इनके आकाओं को भी हमारी देश की सेना ठिकाने लगाएगी। यही सही वक्त है, जब पाकिस्तान में बैठे इन आतंकवादियों के आकाओं को खत्म करना होगा। तभी कश्मीर में अमन-चैन फिर आएगा। भारत ने हमेशा विश्व को बताया कि इनका काम आपस में दुश्मनी बढ़ाने का है। इस बार इस बात पर मुहर भी लग गई कि धर्म के नाम से भारत को घुसपैठिए, और आतंकवादी सहित दुश्मन पाकिस्तान बांट रहा है, पर हम भारतीयों को बांटने का काम दुश्मन देश कितना भी कर ले, उनके आतंकी हमारे मनोबल को कमजोर नहीं कर सकते हैं।
भारत कभी भी यह नहीं चाहता कि यहाँ का नागरिक आपस में लड़ें। हमें आपस में लडाने की साज़िश दुश्मन कर रहा है। जम्मू- कश्मीर के विकास व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पंख लगाने के बाद कुछ देशद्रोही लोग भी हैं, जो उनका साथ अभी भी दे रहे हैं। हिन्दुओं को निकाल-निकाल कर मारने वाले लोग इंसान नहीं, बल्कि जानवर से भी गए-बीते थे। मानवीय मूल्यों को धराशायी करने वाले आतंकवादियों को चुन-चुन कर मारने का समय अब आ गया है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साफ-साफ कह दिया है कि अब जैसे को तैसा जबाब दिया जाएगा। अब भारत मकबूल जबाब देने की तैयारी में है। अब भारत की ताकत विश्व देखेगा। कब तक हम सत्य, अहिंसा व भाईचारे के संवादों से मैत्रीपूर्ण संबंध रखें, जबकि आतंकवाद के बदनुमा चेहरे से लिप्त पाकिस्तान को सीधी बात समझ में नहीं आती है। इसलिए, अब ईंट का जवाब पत्थर से देने का निर्णायक समय आ गया है।