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अहिंसा के पुजारी बापू

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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वैष्णव जन की पीर पराई,
गाते सभी हैं,हरता कौन ?
सुनते सभी गांधी वचनों को,
वचनों पे अमल करता कौन ?

कहते सभी गांधी को बापू,
उनकी तरह मौन रहता कौन ?
आपस में टकराव है सबके,
एक-दूजे के ग़म सहता कौन ?

अमर हो गए महात्मा गांधी,
आज़ादी के लिए मरता कौन ?
जीवन के अंतिम क्षण में भी,
भक्ति से ‘हे राम’ कहता कौन ?

सत्य-अहिंसा की राह दिखाई,
राह पर उनकी चलता कौन ?
सूरज बन कर जला हमेशा,
गांधी जैसा जलता कौन ?

धोती-चश्मा और एक लाठी,
गीता को हाथ में रखता कौन ?
खाते हैं क़सम अदालत में,
गीता वचनों पर चलता कौन ?

दो अक्टूबर यशगान है करते,
बाकी दिन याद करता कौन ?
चारों तरफ़ है हिंसा का ताडंव,
अहिंसा की लड़ाई लड़ता कौन ?

बिना हथियार दे दी आज़ादी,
ऐसा अहिंसा का पुजारी कौन ?
जेल को भी जो समझे मंदिर,
जेल में गीता लिखता कौन ?

परिचय– श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

 

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