हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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हर सुबह जब, आइने पर उभरी तस्वीर को देखो,
तो उससे कहो, वाह…आप तो कितने खूबसूरत हो।
कुछ ही दिनों बाद आप खुद ही खुद में निखार देखोगे,
जमाना आपसे, और आप जमाने से, प्यार करने लगोगे।
वर्षों से मैं यही तो करता हूँ, तभी हरदम खुश रहता हूँ,
मैं अपने मन को, आइने की तस्वीर से खुश रखता हूँ।
किसी और की जरुरत नहीं, जो दिखा, वो लिख दिया।
लिख-लिख कर ही, मैं अपने मन की खुशी बाँटता रहता हूँ।
और तो कहीं प्यार मिलता नहीं, मैं इसी से प्यार करने लगा हूँ,
आपने भी अभी-अभी कह दिया, अब मैं खिलने लगा हूँ।
सब आपकी नजर का धमाल है, इसने ही किया कमाल है।
आइने की तस्वीर का महत्व बताकर, मिटाया मेरे मन का हर सवाल है।
आप भी अब आइने की तस्वीर से, हर दिन खूब प्यार किया करो,
जैसा इसका प्यार है,वैसा ही प्यार, सारे जहां को दिल से दिया करो।
देखना फिर जमाना प्यार भी करेगा,
और आइने की तस्वीर से मन खुश भी रहेगा॥
परिचय–हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।