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आमने-सामने

आशुतोष कुमार झा’आशुतोष’ 
पटना(बिहार)

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तीन रंगों का तिरंगा प्यारा
तीन अंगो की सेना है,
हवा में दिख रहा परचम हमारा
जल-थल अभी बाकी है।

हर घर में वीर है यहाँ
हर जिस्म में दौडता लहू,
जिनको प्राणों से देश प्यारा है
रग-रग में बसा कश्मीर प्यारा है।

आजाद भारत की कहानी
वीरो की गाथा से भरी हुई,
मिग १६ क्या है
देखो सुखोई ने उड़ान अभी है भरी।

हिन्द की तरफ उठे बुरे आँख
वो आँख खाक में मिल जएगा,
जिन्दा रहे न रहे हम
भारत माँ को आँच न आयेगा।

वीरों की गाथा बनकर
इतिहास के पन्नो में,
दर्ज होने को तैयार है
देखना है बाजूओं में,
कितना दम सामने से
तू दिखाने को तैयार है॥

परिचय-आशुतोष कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘आशुतोष’ हैl जन्म ३० अक्तूबर १९७३ को किशुनपुर(पलामू) में हुआ हैl वर्तमान में पटना(बिहार)में रहते हैं,जबकि स्थाई बसेरा किशुनपुर(जिला-पलामू, झारखण्ड)हैl इनकी शिक्षा-आनर्स (अर्थशास्त्र)हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(पटना)हैl इनकी लेखन विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल हैl इनको हिन्दी, मैथिली,भोजपुरी और अंग्रेजी भाषा का हैl प्रकाशन के अंतर्गत ४० कविता प्रकाशित हो चुकी हैl कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंl कम्प्यूटर-टीवी मैकेनिक श्री झा की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक जागृति हैl आपकी रुचि-खेल,संगीत तथा कविता लिखना हैl

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