बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
********************************************************************
इंतजार होता नहीं,दिल होता बेचैन।
अब मैं सजनी क्या करूँ,दिन भी कटे न रैनll
इंतजार करते थके,मन में लगी थी आस।
फिर भी सन्देशा नहीं,जो दे आ के पासll
मुश्किल कितनी है बड़ी,इंतजार की राह।
पल-पल बीती याद में,लिए हृदय में चाहll
साँसें भी थमती नहीं,इंतजार जब होय।
पागल प्रेमी क्या करे,मन ही मन वो रोयll
कितना मीठा दर्द है,फिर भी सहते लोग।
इंतजार रुकता नहीं,इश्क लगे जब रोगll