जबरा राम कंडारा
जालौर (राजस्थान)
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सदा रहा गौरवशाली है,
इस देश की छवि निराली है।
लड़ते रण राष्ट्र हितार्थ हैं,
ज्ञानी करते शास्त्रार्थ हैं।
पर्वों पे गलियां सजती हैं,
मंदिर में झालर बजती है।
जप-तप से तन-मन धोते हैं,
यहां मंत्र उच्चारित होते हैं।
धर्म परायण नर-नारी है,
बच्चों की वो किलकारी है।
बातों की जमती चौपालें,
पंच-पंचायती ढंग-ढालें।
सत्संगत-कीर्तन होता है,
मन भक्ति-भाव सँजोता है।
हिलमिल कर रहते हैं सारे,
है भाषा भेष धर्म न्यारे।
हर दिल में प्रेम की गंगा है,
तन सौहार्द से रंगा है।
यहां बहते निर्झर नद-नाले,
लगते हैं सागर दिल वाले॥