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उत्तरदायित्व के प्रति पूर्ण सजग है साठोत्तर संघर्ष मूलक कविता

संगोष्ठी…

हैदराबाद (तेलंगाना)।

संघर्ष मूलक कविता में पाई जाने वाली ५ प्रवृत्तियाँ प्रमुख हैं-इनमें वर्तमान व्यवस्था की विसंगतियों का चित्रण, आधुनिक जनतंत्र पर आक्षेप, संघर्ष की अनिवार्यता, क्रांति की सफलता का दृढ़ विश्वास एवं काव्य की प्रतिबद्धता शामिल है। साठोत्तर संघर्ष मूलक कविता में न केवल सम-सामयिक जीवन की विषमताओं विसंगतियों एवं विवशताओं का चित्रण सहानुभूतियों के आधार पर हुआ है, साथ ही सामाजिक क्रांति का एक व्यापक उद्देश्य भी अंतर निहित है। अतः इस दृष्टि से यह अपने युग और समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्व के प्रति पूर्ण सजग एवं सचेष्ट है।
यह विचार मुख्य वक्ता प्रख्यात व्यंग्यकार एवं ‘अट्टहास’ पत्रिका के कार्यकारी संपादक रामकिशोर उपाध्याय ने युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच (आंध्र प्रदेश) एवं तेलंगाना राज्य शाखा द्वारा आभासी रूप से आयोजित संगोष्ठी में ‘साठोत्तर काव्य आंदोलन में संघर्ष मूलक काव्य की प्रवृत्तियाँ’ विषय पर व्यक्त किए। डॉ. रमा द्विवेदी (अध्यक्ष, आंध्र प्रदेश) व महासचिव सरिता दीक्षित ने बताया कि कार्यक्रम राष्ट्रीय पत्रिका ‘वीणा’ के वरिष्ठ संपादक एवं प्रखर चिंतक राकेश शर्मा (इंदौर) की अध्यक्षता में हुआ। शुभारंभ संगीतज्ञ शुभ्रा महंतो की सरस्वती वंदना से हुआ। तत्पश्चात डॉ. द्विवेदी ने अतिथियों का परिचय देते हुए शब्द पुष्पों से स्वागत किया। डॉ. रमा ने संस्था का भी परिचय दिया।
राकेश शर्मा ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि साहित्य अपने समकाल का इतिहास भी होता है। वह अपने भीतर समय की सभी प्रवृत्तियों को समाए रखता है। साठोत्तरी कविता में उस समय की सभी विसंगतियों की छवियाँ उपस्थित हैं। हमें अपने अतीत हुए समय का मूल्यांकन करते रहना चाहिए। यह क्रम जब तक बना रहेगा, नयी-नयी रचनाएँ समाज को मिलती रहेंगी।
इस चर्चा में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. प्रणव भारती (अहमदाबाद ) ने भी विचार व्यक्त किए।
संगोष्ठी के प्रथम सत्र का संचालन शिल्पी भटनागर (संयोजिका) ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुरभि दत्त ने दिया।
🔹सुंदर कविता पाठ से किया देशप्रेम में सराबोर
दूसरे सत्र में काव्य गोष्ठी हुई, जिसकी अध्यक्षता डॉ. भारती ने की। सभी रचनाकारों ने देश भक्ति, शहीदों को श्रद्धांजलि एवं आस्था के पर्व कुम्भ स्नान पर सृजित सुंदर सरस गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे एवं कविताओं का पाठ करके देशप्रेम से गोष्ठी को सराबोर कर दिया। विनीता शर्मा, दर्शन सिंह, डॉ. सुषमा देवी, शोभा देशपाण्डे व प्रियंका पाण्डे आदि ने काव्यपाठ किया। कार्यक्रम में वरिष्ठ व्यंग्यकार बी.एल. आच्छा (चेन्नई) ने उपस्थित हो शुभकामनाएँ प्रेषित की। संचालन सरिता दीक्षित ने किया। आभार तृप्ति मिश्रा ने व्यक्त किया।