मोनिका शर्मा
मुंबई(महाराष्ट्र)
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आओ यारों,एक अफसाना सुनाऊँ
एक विचित्र हयात का,
एक घंटी जो उस दिन फोन पर बजी
ले गई अपने साथ,
जहाँ मेरी बेहद ज़्यादा एहतियाज थी।
“जाना पड़ेगा माँ मुझे
आया है मेरा बुलावा,
एक और माई है तेरे जैसी
जिसने अपने पास है बुलाया।”
अपनों से दूर आकर
इस मिट्टी को अपना बनाया,
ऐश की जिंदगी को भुलाकर
कठिन राह को हमसफर बनाया।
महीने और साल बीतते रहे
और यह बेताब अब्सार,
अपनों से मुलाक़ात की
राह तकते रहे।
इस हँसते हुए चेहरे के पीछे भी
उदासी और रुलाई होती है,
जब रक्षाबंधन के दिन
भाई की सूनी ‘कलाई’ होती है।
माना कि देश की रक्षा करने वाला
महान होता है,
पर यह भी सत्य है कि
एक सैनिक भी इनसान होता है।
एक दिन बड़े अरसे बाद
तमन्ना हुई पूरी,
जब पहुँचा अपने घर
अपनों से करने मुलाक़ात।
माई,बहन और हीर मेरी
कर रहे थे इन्तज़ार मेरा,
देख मुझे अपने पास
सबका चेहरा खिल उठा।
माँ के हाथों जैसा लज़ीज़ खाना
और कहाँ मिलता ?
करता नहीं जो बहन संग मस्ती,
तो याद क्या रखता ?
“ओ हीर मेरी,
क्यों तू नाराज़ होती है ?
मेरे चाँद से चेहरे को मायूस कर,
क्या खुशी तुझे हासिल होती है ?”
“रहन दो तुस्सी
हर वारी एक ही गल करदे हो,
न जाने कैसा गणित है तौड़ा
जो एक महीने नु एक साल कर देते हो।”
“समझ गया कि तेरा
नाराज़ होना भी जरूरी है,
पर सबके हँसते मुखड़े के लिए
मेरा वहाँ हाज़िर होना भी तो ज़रूरी है।”
“बड़े बेदर्द हो आप
शिकायत करती हूँ आपकी उस माई से,
‘रख लो इन्हें अपने पास ही
मत भेजना यहाँ दोबारा।”
हीर मेरी नाराज़ हुई
मनाना मेरा फर्ज था,
इस वर्दी की हिफाजत भी जरूरी
क्योंकि चुकाना कर्ज था।
जंग का ऐलान हुआ
अलविदा कह मैं रवाना हुआ,
आँसूओं में सबको छोड़ना पड़ा
क्योंकि,जाना मेरा जरूरी था।
जंग में हाज़िर हुए
और खूंखार एक लड़ाई लड़ी,
और क्या कहूँ ? आगे क्या हुआ होगा ?
एक माई ने भी सुन ली अपनी बहू की पुकार,
ओर मेरे हीर के कहे अनुसार
रख लिया मुझे सदा के लिए अपने ही पास॥
परिचय-मोनिका शर्मा की जन्म तिथि १४ मई २००४ तथा जन्म स्थान राजस्थान हैl इनका निवास नवी मुंबई में हैl यह फिलहाल नवी मुंबई स्थित विद्यालय में अध्ययनरत है। उपलब्धि औरंगाबाद में महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हुए फुटसाल खेल में प्रथम स्थान और हिंदी भाषण प्रतियोगिता में तीसरे स्थान पर आना है। हिंदी-अंग्रेजी में कविता,कहानी और निबंध लिखने की शौकीन सुश्री शर्मा की मुख्य रुचि लेखन ही है।