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कलरव जिंदगी का

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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कलरव है जिन्दगी का…
इन आते-जाते खिसकते लम्हों का,
कलरव है मौन का
इस गहराते सन्नाटे में,
उठती चीख का।

कलरव है प्रेम का…
इन टूटते बिखरते,रिश्तों का,
कलरव है साँसों के स्पन्दन का
इन घटती बढ़ती जिन्दगियों का।

कलरव है समुद्र का…
इसमें आते-जाते ज्वारभाटे का
कलरव है पक्षियों का,
उनके क्रदन,रुदन,चहचहाहट का।

कलरव है दर्द का…
इन सिमटे,बिखरे रिश्तों का,
कलरव है अपनों से मिले घाव का
उनके कच्चे-पक्के मरहम का।

कलरव है कामनाओं का…
ह्रदय में उठती भावनाओं का
कलरव है नदियों का,
समंदर को पाने की लालसा का।

कलरव है चारों ओर अपराधों का
उसके बढ़ते ख़ौफ़ का।
कलरव है चारों तरफ गीत का,
इन आती-जाती ध्वनियों का
कलरव है…॥

परिचय-डॉ. वंदना मिश्र का वर्तमान और स्थाई निवास मध्यप्रदेश के साहित्यिक जिले इन्दौर में है। उपनाम ‘मोहिनी’ से लेखन में सक्रिय डॉ. मिश्र की जन्म तारीख ४ अक्टूबर १९७२ और जन्म स्थान-भोपाल है। हिंदी का भाषा ज्ञान रखने वाली डॉ. मिश्र ने एम.ए. (हिन्दी),एम.फिल.(हिन्दी)व एम.एड.सहित पी-एच.डी. की शिक्षा ली है। आपका कार्य क्षेत्र-शिक्षण(नौकरी)है। लेखन विधा-कविता, लघुकथा और लेख है। आपकी रचनाओं का प्रकाशन कुछ पत्रिकाओं ओर समाचार पत्र में हुआ है। इनको ‘श्रेष्ठ शिक्षक’ सम्मान मिला है। आप ब्लॉग पर भी लिखती हैं। लेखनी का उद्देश्य-समाज की वर्तमान पृष्ठभूमि पर लिखना और समझना है। अम्रता प्रीतम को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाली ‘मोहिनी’ के प्रेरणापुंज-कृष्ण हैं। आपकी विशेषज्ञता-दूसरों को मदद करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिन्दी की पताका पूरे विश्व में लहराए।” डॉ. मिश्र का जीवन लक्ष्य-अच्छी पुस्तकें लिखना है।

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