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मान सरोवर

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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लगे रंग गुलाबी जल में जमघट,
राजीव मनवा लुभाये।
ताल मध्य खिल कर पंकज दल,
हमें हाथ हिला बुलाये॥

घेर खड़ा गिरी चार ओर से,
रूप सजाता नीर भोर से
बिना समूह तरु लगते सूने,
जल राशि गगन लगे चूमे
पार नहीं दिखे रजत वारे।
हिमशिला तट में समाये,
हमें हाथ हिला बुलाये…॥

वृंद-वृंद तरे हंस हँसिनी,
मंद-मंद चले संख संखिनी
झुंड-झुंड में भवरें भँवरी,
नलिनी लगती सँवरी-सँवरी।
रवि किरण पुंज झिलमिल झिलमिल,
सरवर में नाच दिखाये
हमें हाथ हिला बुलाये…॥

शांत सजा है सर में जलसा,
मध्य सरोवर कंचन कलशा
तान नया सौंदर्य रच पल-पल,
ताल हवा छू कर दे हलचल।
शीतल चँचल सौम्य सुहानी,
पुरवाई आये जाये।
हमें हाथ हिला बुलाये…॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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