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‘कल्पकथा’ की काव्य गोष्ठी में दिखी देशप्रेम की पावन स्वर-यात्रा

सोनीपत (हरियाणा)।

देशभक्ति की भावना को शब्दों में पिरोते हुए ‘कल्पकथा’ साहित्य संस्था ने अपनी २०६वीं साप्ताहिक आभासी काव्य गोष्ठी का भव्य आयोजन कर राष्ट्रप्रेम का स्वर्णिम उत्सव मनाया। इस भावपूर्ण साहित्यिक समारोह में वीर सैनिकों के शौर्यगान, सैन्य परिवारों के त्याग, ‘कारगिल’ विजय के अमर प्रसंगों एवं मातृभूमि के लिए सर्वस्व अर्पण करने वाले रणबांकुरों के प्रति श्रद्धा-सुमन अर्पित किए गए।
संवाद प्रभारी ज्योति राघव सिंह ने बताया कि यह कार्यक्रम देशप्रेम, हिन्दी भाषा एवं सनातन संस्कृति को समर्पित संकल्प का जीवंत प्रमाण बना। इसका शुभारंभ नागपुर (महाराष्ट्र) से जुड़े वरिष्ठ साहित्यकार विजय रघुनाथराव डांगे द्वारा संगीतमय गुरुवंदना, गणेश वंदना एवं सरस्वती वंदना के साथ अत्यंत आध्यात्मिक वातावरण में हुआ। अध्यक्षता दिल्ली के वरिष्ठ साहित्य मनीषी कमलेश विष्णु सिंह ‘जिज्ञासु’ ने की। मुख्य अतिथि नीदरलैंड से जुड़ीं हिंदी-ज्योति डॉ. ऋतु शर्मा ननंन पाण्डेय की उपस्थिति ने इसे अंतरराष्ट्रीय स्वर दिया।
गोष्ठी में लद्दाख, जम्मू, उत्तराखंड, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और नीदरलैंड आदि से जुड़कर प्रतिभागी रचनाकारों ने भावपूर्ण काव्य से राष्ट्रप्रेम की अखंड अलख जगाई। प्रत्येक रचना देश के सपूतों को समर्पित श्रद्धांजलि के रूप में प्रस्तुत हुई। श्री डांगे, सुनील कुमार खुराना, प्रमोद पटले, ज्योति प्यासी, डॉ. मंजू शकुन खरे, प. अवधेश प्रसाद मिश्र ‘मधुप’, डॉ. शशि जायसवाल, ‘जिज्ञासु’, बिटिया अनन्या शर्मा, डॉ. ऋतु शर्मा, डॉ. श्याम बिहारी मिश्र, मुकेश कुमार सोनकर, राधाश्री शर्मा व पवनेश मिश्र आदि ने काव्य पाठ किया।
उद्बोधन में ‘जिज्ञासु’ ने कहा कि
राष्ट्र सेवा केवल सीमाओं तक सीमित नहीं, यह एक व्यापक दायित्व है, जिसमें साहित्यकारों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। शब्दों के माध्यम से चेतना फैलाना हमारा दायित्व है। मुख्य अतिथि ने भावपूर्ण संदेश में कहा कि राष्ट्रप्रेम की ऐसी गोष्ठियाँ न केवल साहित्य को समृद्ध करती हैं, बल्कि नई पीढ़ी में मातृभूमि के प्रति अनुराग भी जगाती हैं।
संस्थापक पवनेश मिश्र ने अपने सारगर्भित वक्तव्य में ‘अनेकता में एकता’ को भारत की आत्मा बताते हुए आयोजन की सफलता पर संतोष प्रकट किया और कहा-
‘भारत माता के वीर सपूतों को सादर नमन। जयति जय भारतवर्ष! वंदन वीर महान।’

संचालन की बागडोर राधाश्री शर्मा ने संभालते हुए ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ के शांति पाठ के साथ धन्यवाद ज्ञापित किया।