पूनम दुबे
सरगुजा(छत्तीसगढ़)
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कैसा रिश्ता है कागज का,
हमारे दिल से
सारी अनुभूतियों को सारे
जज्बातों को अपने दिल में,
अथाह जगह दे देता है।
तभी तो हम अपनी,
भावनाओं को उसके सीने में उतार देते हैं
वो उफ़ नहीं करता हैं।
समेट लेता है अपने साये में,
कितना गहरा रिश्ता है
कागज का दिल से।
हम शब्दों के बौछार करते हैं,
अपनी भड़ास भी और
अपना,प्यार सभी कुछ,
कागज के दिल पर उतार
देते हैं और वो संभाल लेता है,
कितना अटूट रिश्ता है
कागज का हमारे दिल से।
हमारे करीब ये कागज,
ही तो है मेरा सब कुछ
जिससे मेरी बातें होती है,
मुझे वो बहुत समझता है
हमेशा बहुत मानता है मुझे,
एक रिश्ता है मेरे दिल का
इस प्यारे कागज से,जो
समेटना जानता है मुझे।
कागज के दिल पर मेरे,
समुद्री लहरों जैसी भावना
संभाल कर रखता है,
ऐसा रिश्ता है कागज का
मेरे दिल से॥
परिचय-श्रीमती पूनम दुबे का बसेरा अम्बिकापुर,सरगुजा(छत्तीसगढ़)में है। गहमर जिला गाजीपुर(उत्तरप्रदेश)में ३० जनवरी को जन्मीं और मूल निवास-अम्बिकापुर में हीं है। आपकी शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत विशारद है। साहित्य में उपलब्धियाँ देखें तो-हिन्दी सागर सम्मान (सम्मान पत्र),श्रेष्ठ बुलबुल सम्मान,महामना नवोदित साहित्य सृजन रचनाकार सम्मान( सरगुजा),काव्य मित्र सम्मान (अम्बिकापुर ) प्रमुख है। इसके अतिरिक्त सम्मेलन-संगोष्ठी आदि में सक्रिय सहभागिता के लिए कई सम्मान-पत्र मिले हैं।