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कानों में जो मधुरस घोले

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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उछल कूद करता है जमकर।
जिसे देखती हूँ मैं मन भर॥
चोरी से आता है अंदर।
क्या सखि साजन ? ना सखि बंदर॥

नमन करूँ मैं जिसे प्यार से।
पग प्रक्षालन अश्रु धार से॥
वो मेरे जीवन की मैया।
क्या सखि साजन ? ना सखि नैया॥

रात नींद में जो है आता।
मीठी बातों से बहलाता॥
सैर कराता कोई अपना।
क्या सखि साजन ? ना सखि सपना॥

गालों को छूते ही बोले।
कानों में जो मधुरस घोले॥
सुंदर है सुर ताल अमोलक।
क्या सखि साजन ? ना सखि ढोलक॥

परिचय- बोधन राम निषादराज की जन्म तारीख १५ फरवरी १९७३ और स्थान खम्हरिया (जिला-बेमेतरा) है। एम.कॉम. तक शिक्षित होकर सम्प्रति से शास. उ.मा.वि. (सिंघनगढ़, छग) में व्याख्याता हैं। आपको स्व.फणीश्वर नाथ रेणू सम्मान (२०१८), सिमगा द्वारा सम्मान पत्र (२०१८), साहित्य तुलसी सम्मान (२०१८), कृति सारस्वत सम्मान (२०१८), हिंदीभाषा डॉट कॉम (म.प्र.) एवं राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान (२०१९) सहित कई सम्मान मिल चुके हैं।
प्रकाशित पुस्तकों के रूप में आपके खाते में हिंदी ग़ज़ल संग्रह ‘यार तेरी क़सम’ (२०१९), ‘मोर छत्तीसगढ़ के माटी’ सहित छत्तीसगढ़ी भजन संग्रह ‘भक्ति के मारग’ ,छत्तीसगढ़ी छंद संग्रह ‘अमृतध्वनि’ (२०२१) एवं छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल संग्रह ‘मया के फूल’ आदि है। वर्तमान में श्री निषादराज का बसेरा जिला-कबीरधाम के सहसपुर लोहारा में है।

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