आचार्य गोपाल जी ‘आजाद अकेला बरबीघा वाले’
शेखपुरा(बिहार)
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मधुबन में मुरली मीठी बजाना,
यूँ गाय चराने नित दिन जाना।
मित्र-मंडली में नित इठलाना,
कान्हा अब कब होगा तेरा आना ?
गोकुल-गलियों में धूम मचाना,
बाल सखा संग माखन खाना।
यमुना तीर पर तेरा चीर चुराना,
कान्हा अब कब होगा तेरा आना ?
मकराकृत कुंडल अंग पीतांबर,
मोर मुकुट मस्तक पर लगाना।
नित गल बैजंती माल सजाना,
कान्हा अब कब होगा तेरा आना ?
विह्वल प्रेम पथिक को सताना,
उद्धव से योग संदेश भिजवाना।
स्वयं नेह लगाकर नेह छुड़ाना,
कान्हा अब कब होगा तेरा आना ?
कंस को मार विध्वंस बचाना,
कालिया के फन पर इतराना।
अधर्म अनीति अपमान मिटाना,
कान्हा अब कब होगा तेरा आना ?
विपदा विकट धरा पर आई,
आकर फिर संताप मिटाना।
मुश्किल हुआ धरा पर रह पाना,
कान्हा अब कब होगा तेरा आना ?
हे पावन परमेश्वर पालनहारी,
जग को कहर से आप बचाना।
गोपीनाथ गिरधारी गोपाल बताना,
कान्हा अब कब होगा तेरा आना…??