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काव्य संग्रह ‘मौन मुखर था’ विमोचित

साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. दवे ने बताया मौन का महत्व और भीड़ में भी अकेले होने की महत्ता

इंदौर (मप्र)।

शनिवार को डॉ. अंजना चक्रपाणि मिश्र के प्रथम काव्य संग्रह ‘मौन मुखर था’ का विमोचन श्रीमध्य भारत हिंदी साहित्य समिति के भवन में वामा साहित्य मंच के परचम तले हुआ। अध्यक्षता हिंदी साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश के निदेशक और वक्तृत्व कला के अद्भुत धनी डॉ. विकास दवे ने की। मुख्य अतिथि साहित्य अनुरागी पुलिस आयुक्त (इंदौर) हरिनारायणचारी मिश्र एवं विशिष्ट अतिथि पुणे से आई अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवयित्री व नाटककार जया सरकार रही।
इस अवसर पर मंच की संस्थापक पदमा राजेंद्र ने चर्चाकार की भूमिका निभाई। मंच की ओर से स्वागत उद्बोधन इंदु पाराशर ने दिया। इस अवसर पर निदेशक डाॅ. दवे ने अध्यक्षीय उद्बोधन में मुखर होकर शब्द और भाव के माध्यम से मानो गागर में सागर भर डाला। माँ की घरेलू अर्थ व्यवस्था पर बात की, स्त्री विमर्श को छुआ, भारतीय प्रतिमानों पर पत्र-पत्रिकाओं में बढ़ती चर्चा पर चर्चा की और यह भी बता गए कि समाज स्त्री-पुरुष की प्रतिद्वंदिता से नहीं, पूरकता से चलता है। उन्होंने मौन का महत्व बताया और भीड़ में भी अकेले होने की महत्ता को रेखांकित किया।
सरस्वती वंदना की सुरीली प्रस्तुति कवियित्री प्रीति दुबे ने दी। साहित्यकार मुकेश तिवारी सहित अन्य साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति में आयोजन के प्रथम चरण में दमदार आवाज़ से कार्यक्रम को एक सूत्र में पिरोने का धर्म चक्रपाणि मिश्र एवं द्वितीय में बड़े माधुर्य के साथ लेखिका अंतरा करवड़े ने निभाया। आभार साहित्यकार डॉ.वसुधा गाडगिल ने माना।

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