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कुछ तो है बाकी

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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‘अभी कुछ तो है बाकी’,
जब देखा,बुजुर्ग दंपत्ति को
‘भविष्य-निधि’ बचाते हुए,
बंध गई,गई एक आस जीवन में!
कि-अभी कुछ तो उम्मीद है बाकी।
‘वेणी’ को बालों में लगाती हुई स्त्री,
को देख कर लगा,जैसे अभी भी पूरी तरह
पश्चिमी सभ्यता में हम नही रंगे,
अभी भी थोड़ी,सभ्यता है बाकी।
पोते के विदेश जाने,
पर दादाजी के चरणों में झुकना!
लगा,अभी ‘मूल्य’ है बाकी।
गुरु पूर्णिमा पर ‘कलम’,
देकर आस बंधी,
अभी ‘पृष्ठ’ पर लेखन है बाकी।
‘पिता’ की बेवजह नाराजगी पर भी,
मस्तक झुका लेना!
लगा,-‘संस्कार’ है अभी भी बाकी।
इन विपरीत परिस्थितियों में भी,
थाम रहे थे लोग,एक-दूसरे का ‘हाथ’
ऐसे लगा अभी,-‘हृदय’ में संवेदना है बाकी।
कितना ही बुरा कहे,लोग इस जहां को,
मुझे अभी थोड़ी ‘उम्मीद’ है बाकी॥

परिचय-डॉ. वंदना मिश्र का वर्तमान और स्थाई निवास मध्यप्रदेश के साहित्यिक जिले इन्दौर में है। उपनाम ‘मोहिनी’ से लेखन में सक्रिय डॉ. मिश्र की जन्म तारीख ४ अक्टूबर १९७२ और जन्म स्थान-भोपाल है। हिंदी का भाषा ज्ञान रखने वाली डॉ. मिश्र ने एम.ए. (हिन्दी),एम.फिल.(हिन्दी)व एम.एड.सहित पी-एच.डी. की शिक्षा ली है। आपका कार्य क्षेत्र-शिक्षण(नौकरी)है। लेखन विधा-कविता, लघुकथा और लेख है। आपकी रचनाओं का प्रकाशन कुछ पत्रिकाओं ओर समाचार पत्र में हुआ है। इनको ‘श्रेष्ठ शिक्षक’ सम्मान मिला है। आप ब्लॉग पर भी लिखती हैं। लेखनी का उद्देश्य-समाज की वर्तमान पृष्ठभूमि पर लिखना और समझना है। अम्रता प्रीतम को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाली ‘मोहिनी’ के प्रेरणापुंज-कृष्ण हैं। आपकी विशेषज्ञता-दूसरों को मदद करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिन्दी की पताका पूरे विश्व में लहराए।” डॉ. मिश्र का जीवन लक्ष्य-अच्छी पुस्तकें लिखना है।

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