संदीप धीमान
चमोली (उत्तराखंड)
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कुछ प्रेम जैसा मामला है
तर्कों से कहां कोई सामना है,
मस्तिष्क लाख संतुष्ट करो
जब छिपी उर कोई कामना है।
लाख तर्क दो समझाने को
पृथ्वी,सूर्य चक्कर लगाती है,
मैं स्थिर तो पृथ्वी भी स्थिर
मेरे दिल का तो यही मानना है।
तुम दोगे दण्ड अगर मूर्खता पे
मूर्खता तो तर्क का मामला है,
पड़ जाऊंगा कदमों में तुम्हारे
कौन तेरा,मेरे दिल से सामना है।
हार सकता है,जीत सकता है
तर्क बुद्धि को छेद सकता है,
राजी होना उर भीतर का,तो
तर्क मात्र ऊपर का मामला है।
वाणी प्रीतिकर लग सकती है
वाणी मनोरंजन कर सकती है,
वाणी तर्क भी कर सकती है
वाणी कर ही क्या सकती हैं ?
न वाणी से,न मन से,न नेत्र से
परमात्मा प्रसन्न किया जा सकता है,
प्रेम मात्र और मात्र बस
मौन बसी अद्भुत अराधना है।
तर्क-कुतर्क भाए न प्रेम को
प्रेम तो भक्ति-सी साधना है।
बीच पड़े कहलाए वो मूर्ख,
प्रेम तो भक्त और ईश्वर के बीच का मामला है॥
परिचय- संदीप धीमान का जन्म स्थान-हरिद्वार एवं जन्म तारीख १ मार्च १९७६ है। इनका साहित्यिक नाम ‘धीमान संदीप’ है। वर्तमान में जिला-चमोली (उत्तराखंड)स्थित जोशीमठ में बसे हुए हैं,जबकि स्थाई निवास हरिद्वार में है। भाषा ज्ञान हिन्दी एवं अंग्रेजी का है। उत्तराखंड निवासी श्री धीमान ने इंटरमीडिएट एवं डिप्लोमा इन फार्मेसी की शिक्षा प्राप्त की है। इनका कार्यक्षेत्र-स्वास्थ्य विभाग (उत्तराखंड)है। आप सामाजिक गतिविधि में मानव सेवा में सक्रिय हैं। लेखन विधा-कविता एवं ग़ज़ल है। आपकी रचनाएँ सांझा संग्रह सहित समाचार-पत्र में भी प्रकाशित हुई हैं। लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा व भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार करना है। देश और हिन्दी भाषा के लिए विचार-‘सनातन संस्कृति और हिन्दी भाषा अतुलनीय है,जिसके माध्यम से हम अपने भाव अच्छे से प्रकट कर सकते हैं,क्योंकि हिंदी भाषा में उच्चारण का महत्व हृदय स्पर्शी है।