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मन्द सुगन्ध महके

संदीप धीमान 
चमोली (उत्तराखंड)
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मन्द सुगन्ध,महके रात्रि गंध,
खोल दे श्वांस जिसकी हो बंद
हरसिंगार कहो,कहो परिजात,
पुष्प विशिष्ट धरा मात्र है चंद।

पड़ जाएं जो गल बन माला,
सोलह श्रंगार पड़े आगे मंद,
परिजात-सा ले आएं स्वर्ग धरा,
नासा छिद्र खुल जाएं पड़े बंद।

देव पुष्प देवों का प्यारा,
इत्र-सा महका दे संसार जो सारा
औषधीय गुणों से है भरपूर,
धनवंतरि का वो सबसे न्यारा।

चाय बना कर पी जाओ काढ़ा,
प्रतिरोधक क्षमता का बनाए बाड़ा
हरसिंगार का गुण नाम के जैसा,
त्वचा रोगों को भी चढ़ा दें जाड़ा।

दर्द,श्वांस,बवासीर या हो बुखार,
साइटिका,हृदय रोगों पर करे वार।
परिजात-सा दु:ख-दर्द हरे तन,
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े अपार॥

परिचय- संदीप धीमान का जन्म स्थान-हरिद्वार एवं जन्म तारीख १ मार्च १९७६ है। इनका साहित्यिक नाम ‘धीमान संदीप’ है। वर्तमान में जिला-चमोली (उत्तराखंड)स्थित जोशीमठ में बसे हुए हैं,जबकि स्थाई निवास हरिद्वार में है। भाषा ज्ञान हिन्दी एवं अंग्रेजी का है। उत्तराखंड निवासी श्री धीमान ने इंटरमीडिएट एवं डिप्लोमा इन फार्मेसी की शिक्षा प्राप्त की है। इनका कार्यक्षेत्र-स्वास्थ्य विभाग (उत्तराखंड)है। आप सामाजिक गतिविधि में मानव सेवा में सक्रिय हैं। लेखन विधा-कविता एवं ग़ज़ल है। आपकी रचनाएँ सांझा संग्रह सहित समाचार-पत्र में भी प्रकाशित हुई हैं। लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा व भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार करना है। देश और हिन्दी भाषा के लिए विचार-‘सनातन संस्कृति और हिन्दी भाषा अतुलनीय है,जिसके माध्यम से हम अपने भाव अच्छे से प्रकट कर सकते हैं,क्योंकि हिंदी भाषा में उच्चारण का महत्व हृदय स्पर्शी है।

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