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हमेशा नहीं रहने वाली

संदीप धीमान 
चमोली (उत्तराखंड)
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हमेशा नहीं रहने वाली
ये देह कमरा किराए का,
आँसू भी तेरे खुद कहां-
अपना ही कोई रुलाएगा।

माटी की देह को मेरी
ख़ाक अपना ही मिलाएगा,
चिंता करूं मैं किसकी यहां,
जो मुझको ही आग लगाएगा!

है ख़ुदा की रहमत हम पर
जो गहरी नींद सुलाएगा,
मोजों की रवानी जन्नत के-
ख्वाब हकीकत बनाएगा।

दर्द दिए जो जमाने भर ने
गर्त तलक पहुंचाने को,
ख्वाबों की नींद सुलाने वाला
मल्हम बुला लगाएगा।

हमेशा नहीं रहने वाली,
ये देह कमरा किराए का।
ढह जाएंगे ख्वाब सभी,
हक़ीक़त-बस ख़ुदा रह जाएगा॥

परिचय- संदीप धीमान का जन्म स्थान-हरिद्वार एवं जन्म तारीख १ मार्च १९७६ है। इनका साहित्यिक नाम ‘धीमान संदीप’ है। वर्तमान में जिला-चमोली (उत्तराखंड)स्थित जोशीमठ में बसे हुए हैं,जबकि स्थाई निवास हरिद्वार में है। भाषा ज्ञान हिन्दी एवं अंग्रेजी का है। उत्तराखंड निवासी श्री धीमान ने इंटरमीडिएट एवं डिप्लोमा इन फार्मेसी की शिक्षा प्राप्त की है। इनका कार्यक्षेत्र-स्वास्थ्य विभाग (उत्तराखंड)है। आप सामाजिक गतिविधि में मानव सेवा में सक्रिय हैं। लेखन विधा-कविता एवं ग़ज़ल है। आपकी रचनाएँ सांझा संग्रह सहित समाचार-पत्र में भी प्रकाशित हुई हैं। लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा व भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार करना है। देश और हिन्दी भाषा के लिए विचार-‘सनातन संस्कृति और हिन्दी भाषा अतुलनीय है,जिसके माध्यम से हम अपने भाव अच्छे से प्रकट कर सकते हैं,क्योंकि हिंदी भाषा में उच्चारण का महत्व हृदय स्पर्शी है।

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