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कैसे खेलें होली…

सुबोध कुमार शर्मा 
शेरकोट(उत्तराखण्ड)

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होनी थी जो वो तो होली,कैसे खेलें फाग होली,
गिरगिट रंग लेकर सभी दल खेल रहे हैं आज होली।
रक्त रंजित वीर अरि से खेल रहे हैं रण में होली,
आरोपों का गुलाल ले आई नेताओं की देखो टोली॥

चोर-चोर कह शोर मचावे,भोली जनता को रिझावे,
भ्रष्टाचार की गागर लेकर घोटालों का रंग बनावे।
कुछ जमानत पर आकर अपना गठबंधन बनावे,
दूर पहले हो गये जो बना रहे सबको हमजोली॥

कुर्सी के पीछे नेता पड़े हैं,कुछ खोटे कुछ खरे हैं,
चुनावों के रंगों से सब अपनी पिचकारी भरे हैं।
नये-नये दलों में जाकर अपनी-अपनी भंग बनाते,
भूले हैं सभी अब रण में वीर खा रहे कैसे गोली॥

संकटों से देश जूझा नेताओं को केवल वोट सूझा,
मिली-जुली ताकतों को चुनाव क्षेत्र में दिखा रहे हैं।
कोई बुआ कोई भतीजा,दीदी चाचा बना रहे हैं,
नहीं भा रही गठबंधन को भाइयों-बहिनों वाली बोली॥

देश-विदेशों में तो पुरस्कार जिसको मिल रहे हैं,
सभी देश जिसके साथ मिलकर चल रहे हैं।
स्वच्छता व शांति को जो साथ लेकर चल रहे हैं,
खेल रहे हैं आज वो सब मिलन रंगों की होली॥

परिचय – सुबोध कुमार शर्मा का साहित्यिक उपनाम-सुबोध है। शेरकोट बिजनौर में १ जनवरी १९५४ में जन्मे हैं। वर्तमान और स्थाई निवास शेरकोटी गदरपुर ऊधमसिंह नगर उत्तराखण्ड है। आपकी शिक्षा एम.ए.(हिंदी-अँग्रेजी)है।  महाविद्यालय में बतौर अँग्रेजी प्रवक्ता आपका कार्यक्षेत्र है। आप साहित्यिक गतिविधि के अन्तर्गत कुछ साहित्यिक संस्थाओं के संरक्षक हैं,साथ ही काव्य गोष्ठी व कवि सम्मेलन कराते हैं। इनकी  लेखन विधा गीत एवं ग़ज़ल है। आपको काव्य प्रतिभा सम्मान व अन्य मिले हैं। श्री शर्मा के लेखन का उद्देश्य-साहित्यिक अभिरुचि है। आपके लिए प्रेरणा पुंज पूज्य पिताश्री हैं।

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