आरती सिंह ‘प्रियदर्शिनी’
गोरखपुर(उत्तरप्रदेश)
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पुस्तक समीक्षा…………………..
प्रखर गूँज प्रकाशन द्वारा प्रकाशित साझा संग्रह की श्रृंखला के अंतर्गत पूरन भंडारी सहारनपुरी द्वारा संकलित पुस्तक मुक्त तरंगिणी
एक ऐसा काव्य संग्रह है,जिसमें रचनाकारों की भावनाओं का बिखराव उन्मुक्त रूप से हुआ है। जिस प्रकार जल की उन्मुक्तता सागर-सा विस्तार देती है,मन की उन्मुक्तता सपनों-सा आकाश देती है,उसी प्रकार शब्दों की उन्मुक्तता कविताओं का संसार देती है।
देवरिया के जय शंकर पांडेय ने अपनी रचनाओं में देश के प्रति प्रेम भावना तथा ईश्वर के प्रति भक्ति को खूबसूरत शब्दों से सजाया है। उनकी कविता ‘पहचान खतरे में हैएक सामयिक कविता है,जो सत्ता के गलियारों की सच्चाई बयान करती है।
हम खता करके भी माफ़ी ना मांग सके
मैसूर की अनिता सक्सेना ने अपनी रचनाओं में प्यार एवं रिश्ते की नई परिभाषा गढ़ी है।
आप बेगुनाह होकर भी करें क्षमा प्रार्थना
कितनी अजीब मोहब्बत…अमिता जी की कविता 'बेटी' एवं 'एक रिश्ता' भी मानवीय भावनाओं से ओत-प्रोत है।
हम साथ
शाहजहांपुर की चारुशिखा ने अपनी छोटी-छोटी कविताओं तथा सामान्य शब्दों में भी पाठकों का मन मोहा है। उनकी रचनातथा 'बेटी' में समाज एवं दुनिया का विद्रूप अक्स दिखाई पड़ता है। वहीं
प्रार्थना` कविता में ईश्वर का आह्वान जीवन के प्रति कशिश उत्पन्न करती है।
मुजफ्फरपुर की उषा किरण की रचनाओं में विविधताएं स्पष्ट झलकती है। कहीं वैज्ञानिक व्याख्यान है तो कहीं ईश्वर के प्रति समर्पित भक्ति भाव। भावनाओं की विसंगतियों से उबकर वह निःशब्द वार्ता
भी करती हैं जिसके शब्द मर्मभेदी हैं।
फारबिसगंज की शिक्षिका कंचन पांडे ने अपनी कविताओं में समाज के प्रति व्यक्ति की जिम्मेदारियों का सुंदर चित्रण किया है। जिंदगी एक सीख
तथा निर्धनता
ऐसी ही कविता है।
दिल्ली की केशी गुप्ता नयी रचनाकार होते हुए भी अपनी कविताओं में भावनाओं के कई रंग बिखेरें हैं भ्रूण हत्या
तथा रेत का सफर
यथार्थपरक कविताएं हैं। पंजाब की स्कूल शिक्षिका मीनाक्षी मेनन अपनी कविताओं में समाज के एक अलग ही रूप का वर्णन करती हैं।
मजबूरियों की सलाखों में कैद करके
बेरहमी की किल्ली से टांग दी थी... उसके नन्हें से मासूम,हाथों से उतार के ... और थमा दिया था उसके हाथ में कटोरा..भीख का कटोरा
सहारनपुर के वरिष्ठ लेखक पूरन भंडारी की कविताओं में उनके जीवन का अनुभव तथा यथार्थदर्शिता अस्पष्ट दिखती है। बेवजह
,वीआरएस
तथा भूल
कुछ ऐसी ही रचनाएं हैं।
मेरठ ही गृहिणी सीमा गर्ग मंजरी
अपनी कविताओं में प्रेम के मुखर रूप का वर्णन करती हैं। दीपशिखा
तथा आओ प्रिय
कविता में साथी के प्रति प्रेम की पराकाष्ठा का अदभुत वर्णन छायावाद की याद दिला देता है।
लखनऊ की शिखा गौर की कविता तेरी चिट्ठी
में व्यक्तिगत भावनाओं के कुछ कटु सत्य तथा अनुभवों की अभिव्यक्ति पाठकों के मन को अवश्य बांध लेगी।
मालेगांव के प्राध्यापक भास्कर सुरेश खैरनार की प्रतीकात्मक कविताएं इस संग्रह को एक अलग ही पहचान देती है। बरगद से लटकी कब्र
तथा संसार में रोटी
कविताओं में बिंब प्रतीकों का प्रयोग अदभुत है। पिरामिड विधा की रचना प्यार के अनाज की जरूरत खड़ी है
भी बेहद खूबसूरत बन पड़ी है।
इंदौर के मनोज कान्ह शिवांश ने वीरांगना लक्ष्मीबाई
की वीरता एवं शौर्य का अप्रतिम वर्णन किया है। मैं भारत देश निराला हूँ
तथा मैं एफ डी कर देता
भी भावनाओं के आकाश में शब्दों की खूबसूरत उड़ान है।
मिर्जापुर की श्रीमती प्रीति की कविताओं में कोमल भावनाओं ने अनंत आकाश में अपने पंख फैलाए हैं। अकेलापन
एवं सुकून
कविता में उन्होंने व्यक्ति के मन की मृदु भावनाओं पर कलम का मीठा प्रहार किया है।
ऐ खुदा दे दो हमें वह सुकून,जिसे पाकर जिंदगी जन्नत बन जाए।
अंततः कह सकते हैं कि हर प्रकार के पाठकों की क्षुधा तृप्ति में ‘मुक्त तरंगिणी’ सक्षम है।
परिचय-आरती सिंह का साहित्यिक उपनाम-प्रियदर्शिनी हैl १५ फरवरी १९८१ को मुजफ्फरपुर में जन्मीं हैंl वर्तमान में गोरखपुर(उ.प्र.) में निवास है,तथा स्थाई पता भी यही हैl आपको हिन्दी भाषा का ज्ञान हैl इनकी पूर्ण शिक्षा-स्नातकोत्तर(हिंदी) एवं रचनात्मक लेखन में डिप्लोमा हैl कार्यक्षेत्र-गृहिणी का हैl आरती सिंह की लेखन विधा-कहानी एवं निबंध हैl विविध प्रादेशिक-राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कलम को स्थान मिला हैl प्रियदर्शिनी को `आनलाईन कविजयी सम्मेलन` में पुरस्कार प्राप्त हुआ है तो कहानी प्रतियोगिता में कहानी `सुनहरे पल` तथा `अपनी सौतन` के लिए सांत्वना पुरस्कार सहित `फैन आफ द मंथ`,`कथा गौरव` तथा `काव्य रश्मि` का सम्मान भी पाया है। आप ब्लॉग पर भी अपनी भावना प्रदर्शित करती हैंl इनकी लेखनी का उद्देश्य-आत्मिक संतुष्टि एवं अपनी रचनाओं के माध्यम से महिलाओं का हौंसला बढ़ाना हैl आपके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचंद एवं महादेवी वर्मा हैंl